एक ओवर में 6 गेंदें और अगर इन सभी 6 गेंदों पर छक्के लग जाएं तो फैंस के लिए वो पल कभी ना भुला पाने वाला हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका के हर्शल गिब्स ने जब वनडे विश्व कप मैच में ये कमाल किया या फिर जब युवराज सिंह ने टी20 विश्व कप में ऐसा किया, तो वो पल सदा के लिए अमर हो गया। ये कुछ ऐसे रिकॉर्ड हैं जिन्हें तोड़ना बेहद मुश्किल है लेकिन अगर आपको लगता है कि क्रिकेट जगत में एक ओवर में 36 रन का ही सबसे बड़ा रिकॉर्ड है, तो आप गलत हैं।
दरअसल सालों पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक ऐसा रिकॉर्ड बना था जिसे कुछ कारणों की वजह से आधिकारिक मान्यता तो नहीं मिल सकी लेकिन एक ओवर के अंदर वैसा कभी नहीं हुआ और ना अब होने की उम्मीद की जा सकती है। एक ऐसा ओवर जब दो बल्लेबाजों ने मिलकर 77 रन जड़ डाले थे।
आज से तकरीबन 21 साल पहले फरवरी 1990 में न्यूजीलैंड के प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट (शेल ट्रॉफी) में वेलिंगटन और कैंटरबरी के बीच मैच था। उस मैच में वेलिंगटन की टीम एक पेचीदा स्थिति में फंसी थी और उसे ड्रॉ मंजूर नहीं था। वे किसी भी हाल में मैच जीतना चाहते थे क्योंकि वे खिताब जीतने के बेहद करीब थे।
मैच में वेलिंगटन ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 202 रन बनाए। इसके बाद कैंटरबरी ने जवाब में 7 विकेट पर 221 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। फिर वेलिंगटन ने अपनी दूसरी पारी में 309 रन बनाए और कैंटरबरी के सामने 291 रनों का लक्ष्य रख दिया। कैंटरबरी जब अंतिम पारी में जवाब देने उतरी तो ये साफ था कि वे लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे और मैच ड्रॉ की ओर बढ़ने लगा।
मैच अब अंतिम क्षणों में पहुंच रहा था और कैंटरबरी को अब भी 12 गेंदों पर 95 रन चाहिए थे जो कि नामुमकिन सा लक्ष्य था। उनके कुल 2 विकेट बाकी थे। ऐसे में जीतने को बेताब वेलिंगटन के कप्तान ने सोचा कि क्यों ना बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए ललचाया जाए और बेहद आसान गेंदबाजी करके उनको रन बटोरने दिए जाएं, यही नहीं कुछ अतिरिक्त रन खुद लुटाने की भी तैयारी थी, क्या पता इसी बीच बाकी बचे दो विकेट मिल जाएं और उनको जीत मिल जाए।
वेलिंगटन के कप्तान मैकस्वीनी ने इस रणनीति के तहत बर्ट वांस को गेंदबाजी की जिम्मेदारी दे दी। एक ऐसा खिलाड़ी जिसने अपने छह सीजन लंबे अपने करियर में कुल 39 ओवर किए थे। वो एक पार्ट टाइम गेंदबाज के रूप में भी नहीं देखे जाते थे। बर्ट वांस के सामने लक्ष्य ये था कि उनको ज्यादा से ज्यादा रन लुटाने हैं ताकि विरोधी टीम को लगने लगे कि वो जीत सकते हैं और मैच ड्रॉ की ओर ना जाए।
(आपको उस ओवर के बारे में बताने से पहले ये जानकारी दे देना जरूरी है कि उन दिनों नियम थोड़ा अलग थे, नो-बॉल के बाद मिलने वाली अतिरिक्त गेंद पर अगर बल्लेबाज खुद रन बनाता है तो उसको हर बार नो-बॉल का 1 अतिरिक्त रन नहीं मिलता था। ऐसे में सिर्फ उतने ही रन मिलेंगे जो बल्ले से बनाए।)
पहली गेंद- एक बार नो बॉल। फिर बल्लेबाज ने चौका जड़ दिया। (5 रन)
दूसरी गेंद- गेंदबाज ने जानबूझकर एक के बाद एक 15 नो-बॉल फेंकी। इन 15 नो बॉल पर 8 गेंदों पर छक्के, 4 गेंदों पर चौके और 2 गेंदों पर एक-एक रन लिया और एक गेंद पर बल्ला नहीं लगा इसलिए 1 रन मिला। फिर किसी तरह एक लीगल गेंद आई जिस पर कोई रन नहीं बना। यानी इस गेंद पर आए कुल 67 रन। (ओवर में 72 रन हो चुके थे)
तीसरी गेंद- कोई रन नहीं आया। (ओवर में अब तक 72 रन)
चौथी गेंद- एक और नो-बॉल पर चौका। फिर लीगल गेंद पर 0 रन। इस गेंद पर 5 रन आए। (ओवर में 77 रन हुए)
पांचवीं गेंद- कोई रन नहीं आया (ओवर में 77 रन) -- इसके बाद अंपायर गेंदों की गिनती भूल गए थे इसलिए 5 गेंदों पर ही ओवर खत्म कर दिया गया।
बर्ट वांस के उस भयानक ओवर का नतीजा ये था कि अंपायर भी गेंदों की गिनती भूल गए थे और स्कोरबोर्ड पर खड़े लोग भी भूल गए कि कितने रन कब बने। आलम ये था कि बाहर बैठे दर्शकों तक से राय लेनी पड़ी। खैर अब ओवर खत्म हो गया था लेकिन दिलचस्प चीज ये थी कि कैंटरबरी के 2 विकेट अब भी बाकी थे और वो अब जीत से कुल 18 रन दूर थे।
वेलिंगटन के कप्तान ने अब अपने बाएं हाथ के स्पिनर इवेन ग्रे को गेंदबाजी पर लगाया। पिछले ओवर में अपना शतक पूरा कर चुके जर्मोन ने इस ओवर की पांच गेंदों पर 17 रन बना लिए और अंतिम गेंद पर जीत के लिए उन्हें 1 रन चाहिए था। बल्लेबाज को कुछ अंदाजा नहीं था कि आखिर उसके सामने लक्ष्य क्या था और क्या वो जीत के करीब थे। इस वजह से ओवर की अंतिम गेंद पर उसने डिफेंड कर दिया, यानी मैच टाई पर छूटा और वेलिंगटन की ख्वाइश पूरी नहीं हुई।
इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि वेलिंगटन को इस तरह खेल भावना को ठेस पहुंचाने की सजा मिलेगी लेकिन उनको उस चीज के लिए सजा नहीं मिली बल्कि धीमी ओवर गति के लिए 4 अंक काट दिए गए। वेलिंग्टन जो इस मैच से पहले 61 अंकों पर थी, अब उसके 57 अंक थे। जबकि कैंटरबरी के 50 अंक थे। लेकिन एक ट्विस्ट टूर्नामेंट के अंत में भी आया जब कैंटरबरी टूर्नामेंट के अंतिम मैच में हारी और टूर्नामेंट की बाकी टीमों की जीत-हार की अंक गणित कुछ ऐसी बैठी कि वेलिंगटन ही टॉप पर रहा और खिताब भी जीता।
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