नई दिल्ली: जिंबाब्वे क्रिकेट इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है लेकिन 21वीं सदी की शुरुआत का दौर ऐसा था जब अफ्रीकी महाद्वीप की ये टीम बड़ी से बड़ी टीम को हराने का माद्दा रखती थी। ऐसा ही कारनामा मार्च 2002 में जिंबाब्वे ने भारत के खिलाफ फरीदाबाद में खेले गए मुकाबले में किया था। इस मैच में जिंबाब्वे की जीत का हीरो 21 साल एक अनजान खिलाड़ी था।
भारत दौरे पर 2 टेस्ट और 5 वनडे मैच खेलने आई जिंबाब्वे की टीम टेस्ट सीरीज 0-2 के अंतर से गंवा चुकी थी। ऐसे में वनडे सीरीज के फरीदाबाद में खेले गए पहले मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। भारत के टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट पर 274 रन का स्कोर खड़ा किया। वीवीएस लक्ष्मण ने 75 और सौरव गांगुली ने 57 रन की पारी खेली। अंत में अजीत आगरकर ने 19 गेंद में 40 रन की पारी खेलकर टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाया।
21 रन पर जिंबाब्वे ने गंवा दिए थे दो विकेट
ऐसे में जीत के लिए 275 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी जिंबाब्वे को जहीर खान ने शुरुआत में ही दो विकेट लेकर बैकफुट पर धकेल दिया। 21 रन पर दो विकेट गंवाने के बाद स्टार बल्लेबाज एंडी फ्लावर और एलेस्टर कैंपबेल ने पारी को संभाला और तीसरे विकेट के लिए 111 रन की साझेदारी करके टीम को संभाला। लेकिन 132 रन के स्कोर पर अनिल कुंबले ने एंडी फ्लावर को बोल्ड करके भारत को तीसरी सफलता दिलाई। एंडी फ्लावर ने 71 रन बनाए।
फ्लावर के आउट होने के बाद एलेस्टर कैंपबेल का कुछ देर कप्तान स्टुअर्ट कार्लाइल ने दिया लेकिन वो भी 23 रन बनाकर जहीर खान की गेंद पर कैच देकर पवेलियन लौट गए। इसके बाद विकेटों की झड़ी लग गई। 193 के स्कोर पर कैंबपेल 84 रन बनाकर आउट हो गए। इसके कुछ देन बाद ग्रांट फ्लावर को हरभजन सिंह ने पवेलियन वापस भेज दिया। ऐसे में 210 रन पर 8 विकेट गंवा चुकी जिंबाब्वे की हार निश्चित नजर आने लगी।
ऐसे में जिंबाब्वे की ओर से दसवें नंबर पर बल्लेबाजी करने डगलस मार्लियर उतरे। ऐसे में दूसरे छोर पर युवा विकेटकीपर बल्लेबाज तेतेंदा तैबू थे और जीत के लिए जिंबाब्वे को 40 गेंद पर जीत के लिए 65 रन बनाने थे। ऐसे में मार्लियर ने बल्लेबाजी का ऐसा नमूना पेश किया उसे आज भी लोग याद करते हैं।
जहीर और कुंबले की मार्लियर ने जमकर की धुनाई
मार्लियर ने मैच के आखिरी ओवरों में 4 विकेट झटक चुके जहीर खान को निशाना बनाते हुए एक नया 'स्कूप' शॉट इजाद किया जिसकी झलक वो पर्थ में ग्लैन मैक्ग्रा जैसे धाकड़ गेंदबाज के सामने दिखा चुके थे । मार्लियर ने जहीर खान की यॉर्क लेन्थ की गेंदों को शानदार ढंग से स्कूप करके विकेटकीपर के पीछे चौके के लिए बार बार भेजा। मार्लियर के इन शॉट्स का जहीर के पास कोई जवाब नहीं था। कप्तान सौरव गांगुली और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खिलाड़ी के पास कोई तोड़ मार्लियर की दिलेर बल्लेबाजी को रोकने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था।
2 गेंद और 1 विकेट रहते दिला दी टीम को जीत
मार्लियर ने 21 गेंद में घमाकेदार अंदाज में अपना अर्धशतक पूरा किया और अंत में 2 गेंद शेष रहते अपनी टीम को 1 विकेट से जीत दिला दी। इस पारी के दौरान मार्लियर ने 10 चौके और एक शानदार छक्का जड़ा। इस मैच जिताऊ पारी के लिए मार्लियर को मैन ऑफ द मैच चुना गया। मार्लियर के लिए इससे बड़ा पुरस्कार ये था कि उनके क्रिएटिव शॉट को मार्लियर शॉट के नाम से जाना जाने लगा। हालांकि इसे आगे चलकर श्रीलंकाई बल्लेबाज तिलकरत्ने दिलशान की वजह से दिलस्कूप भी कहा गया लेकिन स्कूप शॉट की पहली झलक लोगों ने मार्लियर के बल्ले से ही निकलती देखी थी और 20 साल बाद भी भारतीय क्रिकेट प्रशंसक उस मैच की हार को नहीं भूल पाए हैं।
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