नई दिल्ली: जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबला होता है तो भावनाओं पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। दोनों ही देश क्रिकेट को लेकर बेहद जुनूनी है और दोनों देशों में क्रिकेट को धर्म की तरह माना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच मैच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के किसी भी टूर्नामेंट में आकर्षण का केंद्र होता है क्योंकि दोनों देशों के बीच रिश्तों की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए उनमें बहुत कम खेल गतिविधियां होती हैं।
जब भी दोनों देश आपस में खेलते हैं तो भावनाएं सराबोर होती हैं और इसकी लहर दोनों टीमों के ड्रेसिंग रूम तक भी बहती है। 2003 विश्व कप ऐसा मौका था जब खिलाड़ी भावनाओं में बहकर अपना आपा खो बैठे थे। हरभजन सिंह और मोहम्मद यूसुफ के बीच शारीरिक रूप से लगभग लड़ाई हो चुकी थी। दोनों खिलाड़ियों के हाथों में फोर्क थी, जिसे लेकर दोनों एक-दूसरे को मारने के लिए खड़े हो गए थे। टीम के साथियों ने इन दोनों खिलाड़ियों को दूर करके स्थिति को संभाला था।
2019 विश्व कप के दौरान हरभजन सिंह ने यह घटना बताई थी। पीटीआई से बातचीत में हरभजन सिंह ने कहा था, 'यह बात मजाक से शुरू हुई थी, लेकिन फिर मामला बहुत बढ़ गया था। मुझे उस मैच में नहीं खिलाया गया था और अनिल भाई खेल रहे थे। टीम प्रबंधन का मानना था कि पाकिस्तान के खिलाफ अनिल कुंबले का रिकॉर्ड शानदार है तो उन्हें मौका दिया गया था। मैं थोड़ा निराश था और जब आप प्लेइंग 11 में नहीं रहें तो ऐसा हो जाता है।'
हरभजन सिंह ने बताया, 'लंच टाइम के दौरान मैं एक टेबल पर बैठा था और दूसरी तरफ यूसुफ व शोएब अख्तर कॉमन एरिया में बैठे थे। हम दोनों पंजाबी में बात कर रहे थे और एक-दूसरे के मजे ले रहे थे कि तभी उन्होंने मुझ पर निजी टिप्पणी की आर फिर मेरे धर्म के बारे में कुछ कहा। मैंने उन्हें तगड़ा जवाब दिया। किसी को एहसास होता कि उससे पहले हमारे हाथों में फोर्क थी और हम एक-दूसरे पर हमला करने के लिए खड़े हो गए।'
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