जब महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने थे, तब सिर्फ उनकी कप्तानी की क्षमता को लेकर उन्हें जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी, बल्कि एक फिनिशर के तौर पर टीम में शानदार योगदान देने के लिए भी ऐसा किया गया था। ऐसे ही कई कप्तान हुए हैं जो सिर्फ कप्तानी क्षमता की वजह से कप्तान नहीं बने। ऐसे ही एक खिलाड़ी थे वेस्टइंडीज के जिमी एडम्स, जिन्होंने कई बार साबित किया कि उनके लिए टीम की प्राथमिकताएं सबसे ऊपर थीं। आज से 21 साल पहले, आज ही के दिन (29 मई) उन्होंने ऐसा कमाल करके दिखाया था जिसे कोई भुला नहीं सकता। पाकिस्तानी तो बिल्कुल भी नहीं।
जिस मुकाबले की हम यहां बात करने जा रहे हैं, उस टेस्ट मैच का आज ही के दिन निर्णय निकला था। एक ऐसा नतीजा जिसकी सालों तक मिसाल दी जाती रही है। उस टेस्ट मैच ने ये साबित कर दिया था कि हालात चाहे जैसे हों, क्रिकेट मे मैच पलटने का जज्बा हो तो कुछ भी मुमकिन है। वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान जिमी एडम्स ने इस मुकाबले में ऐसी ही मिसाल पेश की थी।
क्या हुआ था?
विकेटकीपर मोइन खान की कप्तानी में पाकिस्तानी टीम साल 2000 में वेस्टइंडीज दौरे पर थी। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के शुरुआती दोनों टेस्ट मैच ड्रॉ रहे थे और अब बारी थी अंतिम टेस्ट मैच की, जिसका आयोजन एंटीगा के सेंट जॉन्स मैदान पर हो रहा था। मैच की पहली पारी में पाकिस्तानी टीम ने मोहम्मद यूसुफ (नाबाद 103 रन) के दम पर 269 रन बनाए थे। जवाब में मेजबान कैरेबियाई टीम ने अपनी पहली पारी में 273 रन बनाए। जिस दौरान वसीम अकरम ने 6 विकेट लेकर खलबली मचाई। इसके बाद पाकिस्तान ने अपनी दूसरी पारी में 219 रन बनाए। जिसके साथ ही वेस्टइंडीज को 216 रनों का लक्ष्य मिला।
पांचवें दिन में पहुंचा रोमांच
जब वेस्टइंडीज की टीम चौथे दिन बल्लेबाजी करने उतरी तो उसे वसीम अकरम की लय में दिख रही गेंदों के साथ-साथ वकार यूनिस, मुश्ताक अहमद और सकलैन मुश्ताक जैसे दिग्गज गेंदबाजों का सामना करना था। उनके सामने 216 रनों का लक्ष्य था और चौथे दिन का खेल खत्म होते-होते वेस्टइडीज की टीम 4 विकेट खोकर 144 रन बना पाई थी। अब मैच के पांचवें व अंतिम दिन उनको जीत के लिए 72 रन चाहिए थे और अब भी उनके पास 6 विकेट बाकी थे।
आखिरी दिन हुआ कमाल
जब कैरेबियाई टीम अंतिम दिन खेलने उतरी तो उन्हें वसीम अकरम का कहर झेलना पड़ा। चौथे दिन का खेल खत्म होने पर उनका स्कोर 144/4 था जबकि अंतिम दिन देखते-देखते उनका स्कोर 197/9 हो गया था। मैच रोमांचक हो चुका था। वेस्टइंडीज को अब भी 19 रनों की जरूरत थी और उनके पास सिर्फ एक विकेट बाकी था। जो भी इस मैच को जीतता, वो सीरीज अपने नाम कर सकता था, ऐसे में पाकिस्तान का पूरा फोकस किसी तरह उस 1 विकेट को निकालने पर टिक गया था।
जिमी एडम्स ने खेली ऐतिहासिक पारी
हैरानी की बात ये थी कि बेशक वेस्टइंडीज ने 9 विकेट गंवा दिए थे लेकिन पिच पर कॉर्टनी वॉल्श के रूप में एक पुछल्ले बल्लेबाज के साथ-साथ टीम के कप्तान और पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए जिमी एडम्स अब भी टिके हुए थे। एडम्स ने जैसे कसम खा ली थी कि कुछ भी हो जाए वो अपना विकेट नहीं देने वाले। इस कप्तान ने सबको हैरान करते हुए 334 मिनट बल्लेबाजी की, इस दौरान 212 गेंदों का सामना किया और नाबाद 48 रनों की पारी खेली। उनका 48 रनों का स्कोर बेशक छोटा लग रहा था लेकिन यही वो पारी थी जिसके दम पर वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को 1 विकेट से शिकस्त दे दी। उन्होंने तकरीबन 6 घंटा संयम रखते हुए बैटिंग की और बिना एक भी बाउंड्री लगाते हुए दौड़-दौड़कर 48 रन बनाए। इसके अलावा उनके साथ दूसरे छोर पर खड़े पुछल्ले बल्लेबाज कॉर्टनी वॉल्श का प्रयास भी सराहनीय रहा जिन्होंने अपना विकेट नहीं गंवाया और ज्यादा से ज्यादा मौके एडम्स को दिए। वॉल्श ने 72 मिनट तक बल्लेबाजी करते हुए 24 गेंदों में नाबाद 4 रन की पारी खेली थी।
वसीम अकरम बने 'मैन ऑफ द मैच' लेकिन दर्द रह गया
वेस्टइंडीज ने उस दिन नौवीं बार अपने टेस्ट इतिहास में 1 विकेट से जीत दर्ज की थी लेकिन ये हार पाकिस्तानी फैंस के साथ-साथ तेज गेंदबाज वसीम अकरम के लिए कभी भुला ना पाने वाली हार साबित हुई। अकरम ने मैच में अकेले 11 विकेट झटके थे, उन्होंने शानदार गेंदबाजी की थी और 'मैन ऑफ द मैच' का खिताब भी मिला लेकिन जिमी एडम्स की उन 6 घंटों की पारी ने अकरम की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था और क्रिकेट जगत ने देखा टेस्ट इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलो में से एक जहां हर वो चीज मौजूद रही जो एक फैन देखना चाहता है।
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