नई दिल्ली: वनडे सीरीज 1-2 से गंवाने के बाद टीम इंडिया ने टी20 इंटरनेशनल सीरीज में जोरदार वापसी की और तीन मैचों की सीरीज 2-1 से अपने नाम की। अब दोनों टीमों के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज का घमासान होगा, जिसकी शुरूआत 17 दिसंबर को एडिलेड में डे/नाइट टेस्ट के साथ होगी। जहां टेस्ट क्रिकेट में लाल गेंद का उपयोग होता है, वहीं डे/नाइट टेस्ट के लिए विशेषतौर पर पिंक बॉल (गुलाबी) तैयार की जाती है।
कई लोगों के मन में यह सवाल था कि डे/नाइट टेस्ट में आखिरकार पिंक बॉल का इस्तेमाल क्यों होता है? चलिए आपको बताते हैं कि डे/नाइट टेस्ट में पिंक बॉल का उपयोग क्यों होता है। दरअसल, पिंक बॉल फ्लडलाइट में बेहतर नजर आती है। पिंक बॉल में अतिरिक्त परत से न सिर्फ फ्लडलाइट में इसकी दृश्यता बढ़ती है, लेकिन इसकी चमक और आकार लंबे समय तक कायम रहती है। इससे यह लाल गेंद की तुलना में ज्यादा स्विंग होती है।
वहीं दूसरी तरफ लाल गेंद जब पुरानी होती है तो वह पिच के रंग को अपने में समा लेती है और इसका रंग भूरा होने लगता है। अंतरराष्ट्रीय मैचों में कूकाबूरा, ड्यूक और एसजी तीन प्रमुख कंपनियां हैं गेंद निर्माण करने की। ड्यूक और एसजी गेंदों की सीम ज्यादा कड़क होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी धागो की छह कतार और गेंद की बीच वाली सीम हाथ से बुनी होती है।
सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनते ही टीम इंडिया डे/नाइट टेस्ट खेलने वाले देशों में शामिल हो गई। भारत ने पिछले साल बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के ईडन र्गाडन्स में 22-26 नवंबर के बीच डे/नाइट टेस्ट खेला था। टीम इंडिया ने यह मुकाबला एक पारी और 46 रन से जीता था।
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