नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ ऑलराउंडर युवराज सिंह ने 10 जून 2019 को अपनी जिंदगी का सबसे कड़ा फैसला लेते हुए इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। 2019 विश्व कप के बीच युवराज सिंह ने नम आंखों के साथ की प्रेस कांफ्रेंस में क्रिकेट से विदाई ली थी। इसी के साथ भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत हुआ था। 2007 वर्ल्ड टी20 में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में लगातार 6 छक्के जड़ना हो या 2011 विश्व कप में भारत को विश्व कप खिताब दिलाने में मैन ऑफ द सीरीज बनना, युवराज सिंह की गिनती खेल इतिहास में सफेद गेंद के सबसे शानदार क्रिकेटरों में हुई।
2011 विश्व कप के बाद जब युवराज सिंह कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका गए थे, तब कई लोगों ने उनके करियर खत्म समझ लिया था। मगर चैंपियन खिलाड़ी ने एक बार फिर अपनी महानता साबित की और वापसी करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ अपने वनडे करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेल डाली। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ 127 गेंदों में 150 रन बनाए थे। अपने संन्यास वाली प्रेस कांफ्रेंस में युवी ने भारतीय चयनकर्ताओं के रवैये पर निराशा जरूर व्यक्त की थी। पिछले कुछ समय में युवी कई बार कह चुके हैं कि उनके करियर के अंतिम समय में चयनकर्ताओं का बर्ताव उनके प्रति अच्छा नहीं रहा।
बड़ी संख्या में युवाओं के आदर्श युवराज सिंह ने 'टाइम्स नाउ न्यूज डॉट कॉम' के सुयश श्रीवास्तव को दिए इंटरव्यू में कई विषयों पर खुलासे किए। चलिए इस पर एक नजर डालते हैं:
सवाल- क्रिकेट धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। महामारी के कारण क्रिकेट में आपको आगे बड़े बदलाव क्या दिखते हैं?
युवराज सिंह - महामारी के बाद दुनिया में आम की परिभाषा बदल जाएगी। अधिकारियों के निर्देशों के बाद जब अनलॉक शुरू होगा, तो हर किसी की जिम्मेदारी होगी कि वह सुरक्षा मानकों का ख्याल रखे। खिलाड़ी के रूप में मेरा मानना है कि एक खिलाड़ी को अपने सर्वश्रेष्ठ आकार, मानसिकता और पूरी तरह केंद्रित रहना चाहिए। क्रिकेटर जब मैदान पर होगा तो उसे कोरोना वायरस का डर होगा, यह आपके दिमाग में घर कर सकता है। इसलिए खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आईसीसी ने कोविड-19 वायरस से बचने के लिए कई नियम लागू किए हैं। इससे निश्चित ही खिलाड़ियों और इससे जुड़े लोगों को मदद मिलेगी।
सवाल - डेब्यू के बाद से टीम इंडिया का नियमित हिस्सा रहे? करियर में कोई मलाल रह गया हो?
युवराज सिंह - अनुभव अच्छे हो या बुरे, आपके सीखने और प्रगति का हिस्सा होते हैं। मैं इसे संजोता हूं। मैंने शुरूआती दिनों से 2011 विश्व कप या कैंसर से जंग जीतकर मैदान पर लौटना, कई अनुभव किए, जिसकी बदौलत मैं आज यहां हूं। मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया। मुझे एक मलाल बस यही है कि टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा मौके नहीं मिले। उस समय कई स्टार खिलाड़ियों के कारण टीम में जगह बनाना मुश्किल था। आज के समय में किसी खिलाड़ी को खुद को साबित करने के लिए 10 से ज्यादा टेस्ट खेलने को मिल जाते हैं। हमारे समय में एक या दो मौके मिलते थे। मुझे सौरव गांगुली के संन्यास के बाद मौका मिला, लेकिन दुर्भाग्यवश कैंसर का उपचार चल रहा था और मेरी जिंदगी अलग चल रही थी। बहरहाल, मैं अपनी यात्रा से खुश हूं और अपने देश के लिए खेलकर गौरवान्वित महसूस करता हूं।
सवाल- आपका क्रिकेट करियर शानदार रहा। क्या फैंस उम्मीद करें कि निकट भविष्य में आप कोच की भूमिका में नजर आएंगे?
युवराज सिंह - किसी अन्य पेशे के समान, आपके अनुभव मिश्रित होते हैं। कुछ आपके तो कुछ आपके साथियों या सीनियर्स से सीखने को मिलते हैं। मैं खुद को कोच या मेंटर के रूप में जरूर देखता हूं, लेकिन सिर्फ मैदान शैली तक सीमित नहीं रहना चाहता। मैं युवाओं को खेल में सफल होने के लिए सही मानसिकता की शैली भी सिखाना चाहता हूं। क्रिकेट में काफी दबाव होता है। मैंने सीमित ओवर क्रिकेट ज्यादा खेला और उसमें बहुत दबाव होता है। सही खेल शैली और ध्यान के साथ खिलाड़ी दबाव को झेल सकता है। इस बदलाव में खेल की शिक्षा जरूरी है। खेल के लिए मेरा जुनून युवराज सिंह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (वायएससीई) से दिखेगा, जिसका लक्ष्य युवाओं को सही शैली और शिक्षा देना है ताकि भारत में खेल का स्तर सुधरे।
सवाल - आपने संन्यास से लेकर कई बार जिक्र किया कि चयनकर्ताओं के बर्ताव ने निराश किया। आपकी टीम प्रबंधन से क्या उम्मीद थी?
युवराज सिंह - अपने देश के लिए खेलना गर्व की बात है और मैं खुशनसीब हूं कि ऐसा मौका मिला। मैं 28 साल बाद विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहा। मैंने पूरी ईमानदारी से खेला और बदले में सिर्फ ईमानदारी की उम्मीद रखी। मगर मेरे साथ ही नहीं बल्कि अन्य कई दिग्गजों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। कभी ऐसा समय रहा, जब टीम प्रबंधन से समर्थन की कमी खली। खिलाड़ी होने के नाते मुझे खुशी होती कि स्पष्ट बात बताई जाती। मुझे संन्यास लेने पर कोई मलाल नहीं था और मैं अगले एक या दो साल टी20 क्रिकेट खेलने पर ध्यान लगा रहा हूं।
सवाल- आपने कहा था कि मौजूदा पीढ़ी में ऐसे सीनियर नहीं, जिन्हें देखकर युवा सीखें। आपके मुताबिक कैसे कोई खिलाड़ी युवाओं के लिए आदर्श बन सकता है?
युवराज सिंह - जैसा कि मैंने पहले कहा कि हम अपने सीनियर या साथियों को देखकर काफी कुछ सीखते हैं। सीनियर खिलाड़ी युवा को सही दिशा में अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करने की सलाह देता है और उनकी जिंदगी में अनुशासन का महत्व समझाता है। युवा क्रिकेटर के लिए डरावनी चीज होती है कि आपके खेल को देखने के बाद लोकप्रियता आपके करीब आती है। ऐसे में आप भटक सकते हैं। तब सीनियर खिलाड़ी आपको खेल पर ध्यान बनाए रखने में मदद करता है। वो युवाओं को आत्म-विश्वासी बनने में मदद करते हैं।
सवाल - कोच या लीडर के लिए युवाओं को अच्छा माहौल देना कितना जरूरी है ताकि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आए?
युवराज सिंह - यह किसी भी क्षेत्र या पेशे के लिए सच है। अगर किसी को प्रोत्साहित महसूस होगा और लक्ष्य की असल समझ होगी तो वो 100 प्रतिशत प्रदर्शन करेगा। मुझे सबसे जरूरी मानसिक फिटनेस लगती है। सोशल मीडिया के कारण युवाओं की चीजें सबके सामने आती है और फिर आलोचना उनके दिमाग में घर कर जाती हैं। ऐसे में उनके पास कोई हो, जिससे वो बात कर सकें। कोई उन्हें बिना कुछ सोचे-समझे सिर्फ सुने और जिसकी वह इज्जत कर सके। सभी देश के लिए खेलना चाहते हैं। सभी की प्रक्रिया अलग होती है। इसलिए यह मायने नहीं रखता कि कोई बाहर से कैसा दिख रहा है। खिलाड़ी की मानसिक स्थिति के बारे बातचीत होती रहनी चाहिए।
सवाल - आपकी एकेडमी के बारे में बताइए? यह युवाओं की किस तरह मदद करेगी?
युवराज सिंह - जैसा कि मैंने पहले कहा, युवराज सिंह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (वायएससीई) सिर्फ क्रिकेट एकेडमी नहीं बल्कि खेल विकास के लिए 360 डिग्री काम करेगी। इसमें मेरा काफी रुझान है। हमारा प्रमुख लक्ष्य वायएससीई को देश के उन कोनों में ले जाना है, जहां युवाओं को ऐसी सुविधा नहीं मिलती। हम चाहते हैं कि छोटे या ग्रामीण क्षेत्र के युवा वायएससीई की सुविधा का लाभ उठाकर अपनी प्रतिभा दर्शाएं। हम देश में खेल विकास को बढ़ाना देना चाहते हैं, जिसमें युवा खिलाड़ियों को खेल के कई अनुशासन सीखने को मिले।
सवाल - आप उन क्रिकेटरों में से एक रहे, जिन्हें सौरव गांगुली का समर्थन प्राप्त रहा। आपके मुताबिक एमएस धोनी या विराट कोहली से गांगुली की नेतृत्व क्षमता में क्या फर्क है?
युवराज सिंह - भारतीय टीम भाग्यशाली रही कि उसका नेतृत्व सौरव गांगुली, एमएस धोनी और विराट कोहली ने किया और टीम का प्रदर्शन इसके बारे में अपने आप ही सब साबित कर देता है। ये सभी महान और दूरदर्शी लीडर्स रहे। सौरव गांगुली ने हमेशा मेरा समर्थन किया और मेरे मन में उनके लिए काफी इज्जत है। सौरव में खासियत है कि वह खिलाड़ी में विश्वास जगाते हैं और हमें भरोसा दिलाते थे कि कही भी जीत दर्ज कर सकते हैं। वह सामने से आकर टीम का नेतृत्व करते थे। उन्होंने हमें खेल भावना में रहते हुए आक्रामक होकर खेलने के लिए प्रेरित किया। वह टीम खिलाड़ी थे और सही मायनों में लीडर।
सवाल - एमएस धोनी के लिए एक शब्द। हरभजन ने हाल ही में कहा कि 2019 विश्व कप वाला मैच धोनी का नीली जर्सी में आखिरी मैच था। आपके विचार?
युवराज सिंह - मैं एमएस धोनी की क्रिकेट शैली और मुश्किल परिस्थितियों में फैसले लेने की क्षमता को बहुत मानता हूं। वह अपने आस-पास के लोगों पर शांत प्रभाव डालते हैं। वह महान कप्तान रहे और टीम में शानदार प्रतिभाएं लेकर आए। भविष्य में उनके बारे में क्या है, वो खुद ही बेहतर इसका जवाब दे पाएंगे।
सवाल - 2011 विश्व कप में आप चौथे नंबर पर खेलते थे। क्या 2019 विश्व कप में भारत को इसी क्रम पर अनुभवी बल्लेबाज की कमी खली?
युवराज सिंह - हर खिलाड़ी मजबूत शैली का होता है और अधिकारियों को इसका पता लगाना होता है। एक बार खिलाड़ी की जगह पक्की हो जाए तो आपको उस पर भरोसा करके उसका साथ देने की जरूरत होती है। मुझे लगा कि इसकी कमी खली। तकनीक और अनुभव इस क्रम पर खेलने के लिए बहुत जरूरी हैं और मेरा मानना है कि इस पर विचार नहीं किया गया।
सवाल - अगर मौका मिले, तो कौनसी एक चीज होगी, जो आप अपने करियर में बदलना चाहेंगे?
युवराज सिंह - मैं ज्यादा टेस्ट क्रिकेट खेलना पसंद करूंगा।
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