महेन्द्र सिंह धोनी इंडियन प्रीमियर लीग में एक ऐसा नाम जिससे विरोधी थर-थर कांपते हैं। एक चतुर गेम प्लानर, नैचुरल लीडर और किक्रेट के बेहतरीन कप्तानों में से एक, जिन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स की सफलता में सबसे अहम पारी खेली है। तीन बार आईपीएल की ट्राफी उठाने वाली टीम के लिए धोनी ने कई मैच जिताऊ पारियों खेली हैं। शांत से रहने वाले माही ने सीएसके के लिए अनगिनतों मैचों में संकटमोचक की भूमिका अदा की है। उनकी बेस्ट पारियां अक्सर दबाव वाली परिस्थितियों में आई हैं।
तो चलिए आज आपको आईपीएल में सीएसके के लिए धोनी की खेली गई 5 कभी ना भूला पाने वाली पारियों का रीविज़न कराते हैं।
धर्मशाला में खेले गए करो या मरो वाले इस मैच में चेन्नई को जीतने के लिए 192 रन बनाने थे। संगकारा की कप्तानी में पहले बल्लेबाजी करते हुए पंजाब ने सीएसके के सामने बड़ा लक्ष्य रखा था। जिसके जवाब में धोनी ने 29 गेंदों में 53 रनों की नाबाद और समझदारी भरी पारी खेली, जिसके सहारे चेन्नई ये मैच दो गेंद रहते ही जीत गया। आखरी ओवर में चेन्नई को 16 रन बनाने थे और क्रीज पर खड़े थे थलाइवा, जिन्होंने 4 गेंदों में ही टीम को जीत का स्वाद चखा दिया। धोनी ने इरफान पठान की पहली गेंद पर चौका मारा, वहीं दूसरी पर डबल दौड़ स्ट्राइक को अपने पास रख लिया। इसके बाद धोनी ने लगातार दो गगनचुम्बी छक्के लगाकर न सिर्फ पंजाब के जीत के सपने को धूमिल कर दिया बल्कि चेन्नई को 2010 के आईपीएल सेमी-फाइनल में भी पहुंचा दिया।
2012 के फाइनल इलिमेनटर में धोनी के धाकड़ों के सामने रोहित शर्मा की टीम थी। पहले बल्लेबाजी करने उतरी सीएसके की तरफ से धोनी ने अंतिम ओवर्स में लसिथ मलिंगा और धवल कुलकर्णी जैसे गेंदबाजों की जमकर कुटाई की। 20 गेंदों की पारी में धोनी ने 6 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 51 रनों की अहम पारी खेली। ब्रावो ने भी ताबड़तोड़ 33 रन बनाए। अंतिम के 5 ओवरों में दोनों ने मिलकर 73 रन बटोरे और मुंबई के सामने जीत के लिए 187 रनों का लक्ष्य रखा। मुंबई की पूरी टीम 149 रन ही बना सकी और टूर्नामेंट से बाहर हो गई। वहीं फाइनल में सीएसके का सामना कोलकता नाइट राइडर्स से हुआ। हांलाकि चेन्नई को यहां हार का सामना करना पड़ा।
इस मैच में धोनी अपने पुराने बैटिंग स्टाइल में नजर आए। रिटायरमेंट और खराब फॉर्म को लेकर आलोचना का सामना कर रहे धोनी इस मैच में एक बार फिर टीम के संकट मोचक बने। अपने घर पर खेल रही चेन्नई की शुरूआत बेहद खराब रही, 27 रन पर ही उसके टॉप 3 बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे। जिसके बाद धोनी ने कमान संभाली। पहले उन्होंने रैना के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 61 रनों की साझेदारी की। डेथ ओवर्स आते-आते धोनी मिसाइल बन गए थे। 20 वें ओवर में बॉलिंग करने आए जयदेव उनादकट का धोनी ने तीन धमाकेदार छक्कों के साथ स्वागत किया। 4 चौकों और उतने ही छक्कों की बदौलत धोनी ने 75 रनों की नाबाद पारी खेली और टीम के स्कोर को 175 रन तक ले गए। राजस्थान की टीम जवाब में 167 रन ही बना सकी।
इस मैच में भी धोनी सीएसके के नाव के खिवैया बने। 206 रनों का पीछा करते हुए चेन्नई ने 74 के स्कोर पर 4 विकेट गंवा दिया था। जिसके बाद बैटिंग करने आए धोनी ने दवाब में कैलकुलेटेड रिस्क लेते हुए शानदार पारी खेली। चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस मैच में धोनी ने कोहली की गेंदबाजों की जमकर धुलाई की। 70 रनों की पारी के दौरान माही ने 7 छक्कों की मदद से बॉलर्स के मनोबल को धराशाई कर दिया। 18 गेंदों में जीत के लिए चेन्नई को 45 रन बनाने थे, जो उन्होंने 2 गेंद रहते ही पूरा कर लिया। इस मैच में अंबाती रायडू ने भी 82 रनों की लाजवाब पारी खेली थी। सीएसके ने ये मैच 5 विकेट से जीता और बाद में आरसीबी के साथ हुआ दूसरा महामुकाबला भी अपने नाम किया। आपको बता दें कि 2018 में सीएसके आईपीएल चैंपियन बना था।
आईपीएल में धोनी की मनपसंदीदा टीमों की लिस्ट में आरसीबी टॉप पर है। धोनी कोहली एंड कंपनी के खिलाफ अलग ही अवतार में दिखाई देते हैं। चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस रोमांचक मैच में डेल स्टेन की आग उगलती गेंदों के आगे चेन्नई के बल्लेबाज बेबस थे। चेन्नई ने 6 ओवर में केवल 28 रन बनाकर 4 विकेट खो दिए थे। लेकिन फैंस का भरोसा धोनी पर था, जिन्होंने उन्हें निराश नहीं किया। रायडु के साथ धोनी ने पांचवें विकेट के लिए 55 रन जोड़े। 18 गेंदों में 49 रन चाहिए थे और क्रीज पर डटे हुए थे धोनी और व्राबो। धोनी ने हमला बोला और बता दिया कि क्यों उन्हें अब भी किक्रेट का बेस्ट फिनिशर माना जाता है। स्टेन के 18 वें और नवदीप सैनी के 19 वें ओवर में धोनी ने 1-1 छक्का जड़ा औऱ चेन्नई की जीत की उम्मीदों को जिंदा रखा। उमेश यादव मैच का अंतिम ओवर डालने आए जिसमें चेन्नई को जीत के लिए 26 रन चाहिए थे। धोनी ने पहले गेंद पर चौका और उसके बाद लगातार दो छक्के मारकर आरसीबी के फैंस को सकते में डाल दिया। अब तीन गेंदों में चाहिए थे 10 रन, अगली गेंद लो फुल-टॉस थी जिसपर धोनी केवल 2 रन ही ले सके। इसके बाद धोनी ने पांचवीं गेंद को भी बाउंड्री के पार सैर करने के लिए भेजा। अंतिम गेंद पर दो रनों की दरकार थी लेकिन धोनी ऑफ साइड पर डाली गई इस गेंद को मारने में चूक गए और इसी के साथ आरसीबी ने राहत की सांस ली। हांलाकि धोनी की ये पारी टीम को जीत नहीं दिला पाई लेकिन इस पारी को आप टूर्नामेंट की बेहतरीन पारियों में से एक कह सकते हैं।
आपकी नजर में धोनी की सर्वश्रेष्ठ पारी कौन सी है, आप हमें कमेंट्स सेक्शन में बता सकते हैं।
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