नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया की सबसे लोकप्रिय टी20 लीग इसलिए है क्योंकि इसमें समय-समय पर अहम बदलाव किए गए, जिससे दर्शकों का उत्साह बना रहा। आईपीएल में दुनियाभर के स्टार खिलाड़ियों ने शिरकत की और लीग का स्तर इस कदर बढ़ाया कि फैंस को एक से बढ़कर एक रोमांचक मैच देखने को मिले। ठीक 10 साल पहले आज ही के दिन यानी 28 मई 2011 को चेन्नई के एम चिदंबरम स्टेडियम में आईपीएल के चौथे सीजन का फाइनल मुकाबला खेला गया था।
आईपीएल-4 अन्य तीन संस्करणों से अलग था और इस वजह से इसकी फैन फॉलोइंग भी जबर्दस्त थी। आपको बता दें कि 2 अप्रैल 2011 को भारतीय टीम ने 28 साल का सूखा खत्म करके विश्व कप खिताब अपने नाम किया था। एक सप्ताह के भीतर ही आईपीएल-4 यानी 8 अप्रैल 2011 से टी20 लीग का शुभारंभ हुआ था। कई लोगों का कहना था कि आईपीएल के कारण भारतीय टीम विश्व कप खिताब का जश्न पर्याप्त तरीके से नहीं मना पाई। बहरहाल, ऐसी कई कहानियां तब सुर्खियों में आईं जरूर थीं, लेकिन आईपीएल की चकाचौंध में सब दब गईं।
आईपीएल 2011 में अलग बात यह थी कि इस सीजन में 8 के बजाय 10 टीमों ने शिरकत की थी। पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टसकर्स इस सीजन में शामिल हुए थे। कई खिलाड़ियों की अदला-बदली भी हुई थी, जो हर साल नीलामी में देखने को मिलता था। बस एक बात कॉमन थी और वो है ट्रॉफी पर विजेता का नाम।
एमएस धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने विश्व कप खिताब जीता था। आईपीएल 2011 में धोनी की अगुवाई वाली चेन्नई सुपरकिंग्स ने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में अपनी जगह पक्की की। सीएसके का फाइनल में सामना डेनियल विटोरी के नेतृत्व वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से हुआ। दोनों ही टीमों में स्टार खिलाड़ियों की भरमार थी और दोनों फ्रेंचाइजी की फैन फॉलोइंग के बारे में किसी को बताने की जरूरत भी नहीं है। फैंस को उम्मीद थी कि इस सीजन में बहुत कुछ अलग हुआ, तो फाइनल में रोमांच की हदें जरूर पार होगी। हालांकि, मैच में हुआ कुछ अलग।
चेपॉक स्टेडियम पर चेन्नई सुपरकिंग्स ने टॉस जीता और अपने घरेलू मैदान पर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। सीएसके के ओपनर्स माइक हसी (63) और मुरली विजय (95) ने कप्तान के फैसले को एकदम सही साबित किया। दोनों ने 89 गेंदों में 159 रन की साझेदारी कर डाली। यही से तय हो गया था कि सीएसके की टीम बड़ा स्कोर बनाएगी।
हसी ने 45 गेंदों में तीन चौके और इतने ही छक्के की मदद से 63 रन बनाए। सैयद मोहम्मद ने मिथुन के हाथों हसी का कैच कराकर मेहमान टीम को पहली सफलता दिलाई। हालांकि, मुरली विजय ने अपने आईपीएल करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक खेली और केवल 52 गेंदों में चार चौके व 6 छक्के की मदद से 95 रन बनाए। अरविंद ने विजय को शतक बनाने से रोका और विटोरी ने उनका कैच लपका।
एमएस धोनी ने 13 गेंदों में दो छक्के की मदद से 22 रन बनाए। चेन्नई सुपरकिंग्स ने 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 205 रन बनाए। आरसीबी की तरफ से श्रीनाथ अरविंद और क्रिस गेल को दो-दो विकेट मिले। जमालुद्दीन सैयद मोहम्मद के खाते में एक विकेट आया। यहां से तय हो गया था कि मुकाबला रोमांचकारी होगा क्योंकि आरसीबी के पास स्टार बल्लेबाजों की फौज थी। फिर हुआ कुछ ऐसा..
ऐसा लग रहा था कि आरसीबी पहली बार आईपीएल चैंपियन बनने के अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाएगी, लेकिन हुआ इसके बिलकुल विपरीत ही। टूर्नामेंट में धमाका करने वाले क्रिस गेल बिना खाता खोले आउट हो गए। आरसीबी के फैंस में निराशा यही से फैली, जो अंत तक जरा भी कम नहीं हुई। आरसीबी की टीम कभी मुकाबले में नजर ही नहीं आई।
विराट कोहली (35), एबी डिविलियर्स (18), सौरभ तिवारी (42) और जहीर खान (21) ने छोटे-छोटे योगदान दिए जो आरसीबी को चैंपियन बनाने के लिए काफी नहीं थे। आरसीबी की टीम 20 ओवर में 8 विकेट खोकर 147 रन बना सकी। सीएसके की ओर से रविचंद्रन अश्विन ने तीन जबकि शादाब जकाती ने दो विकेट लिए थे। सीएसके आईपीएल इतिहास की पहली ऐसी टीम बनी थी, जिसने दो बार खिताब अपने नाम किया था।
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