नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट प्रेमी शायद ही साल 2011 के विश्व कप फाइनल में कप्तान धोनी के बल्ले से निकले विश्व विजयी छक्के को कभी भूल पाएं। धोनी के बल्ले से निकले इस शॉट ने भारतीय क्रिकेट में चल रहे विश्व खिताब के 28 साल लंबे सूखे को खत्म कर दिया था। धोनी कपिल देव के बाद भारत को वनडे में विश्व चैंपियन बनाने वाले दूसरे कप्तान बने थे।
नुवान कुलशेखरा की गेंद पर धोनी के बल्ले से निकले छक्के ने पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ा दी थी। पूरा देश खुशी से सराबोर था और सड़कों पर निकल पड़ा था। आम हो या खास हर कोई अपनी खुशी सड़क पर जाहिर करने उतर पड़ा था। लोगों के जेहन में केएल और केवल एक व्यक्ति का नाम हीरो के रूप में ऊभरा था और वो थे महेंद्र सिंह धोनी। भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया था कि वो मरने से पहले धोनी का वानखेड़े स्टेडियम में जड़ा छक्का देखना चाहेंगे।
लेकिन क्या आप जानते हैं धोनी के उस बैट का क्या हुआ जिससे उन्हें ये ऐतिहासिक छक्का जड़ा था। उन्होंने उसे जुलाई 2011 में ही लंदन में एक चैरिटी कार्यक्रम में नीलाम कर दिया था। उस बैट को हर कोई अपने कलेक्शन में रखना चाहता था लेकिन धोनी ने अपनी पत्नी साक्षी की एनजीओ 'साक्षी फाउंडेशन' के लिए फंड जुटाने के लिए उसे नीलाम करने का निर्णय किया।
नीलामी से जुटाए थे 72 लाख रुपये
साक्षी धोनी का एनजीओ भारत ने गरीब बच्चों के लिए काम करता है। इस बैट की नीलामी से एनजीओ को तब 72 लाख रुपये मिले थे। धोनी जब इस बल्ले से खेलते थे तब भी करोड़ों लोगों के चेहरे पर चौके छक्के जड़कर मुस्कान ला रहे थे और इसे नीलाम करने के बाद सैकड़ों गरीब बच्चों की जिंदगी रोशन कर दी। धोनी के बैट को भारतीय मूल के उद्योगपति आरके गोयल के समूह ने खरीदा था।
फाइनल में खेली थी 91 रन की पारी
धोनी ने फाइनल मुकाबले में खुद को खराब फॉर्म के बावजूद प्रमोट करने का निर्णय किया था और नंबर चार पर बल्लेबाजी करते हुए 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन जड़े थे। इस दौरान उनके बल्ले से 8 चौके और 2 छक्के निकले थे। भारत ने श्रीलंका द्वारा जीत के लिए दिए 275 रन के लक्ष्य को 10 गेंद और 6 विकेट रहते हासिल कर लिया था। इस शानदार पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था।
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