लखनऊ: हरिशंकर तिवारी ,हाता और गोरखपुर का गहरा रिश्ता है। राजनीति में आने से पहले वो अपराध जगत में नई इबारत लिख रहे थे। अपराध की दुनिया में जब तक वो सक्रिय रहे उनके दुश्मन खौफ खाते थे। 1980 से 1990 के दौरान गोरखपुर में अपराध की दुनिया में उनकी मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता था। समाचार पत्र और रेडियो पर प्रसारित होने वाली खबरों में हर दिन गोरखपुर सुर्खियों में रहता था। इन सबके बीच अपराध की दुनिया में किसी शख्स की उम्र कितनी होती है यह हरिशंकर तिवारी बेहतर ढंग से जानते थे और खादी की दुनिया में दाखिल हो गए। चिल्लुपार विधानसभा से वो 6 बार विधायक रहे। लेकिन कहते हैं कि हर दिन होत न एक समाना, अब कुछ वैसे ही चक्र से हरिशंकर तिवारी और उनका परिवार गुजर रहा है। सीबीआई ने उनके बेटे और बहू के खिलाफ केस दर्ज किया है।
हरिशंकर तिवारी के बेटे और बहू पर केस
हरिशंकर तिवारी के बेटे और बीएसरी विधायक विनय शंकर तिवारीऔर बहू रीता तिवारी के खिलाफ सीबीआई ने सोमवार को केस दर्ज किया। विनय शंकर तिवारी की कंपनी से जुड़े बैंक फ्रॉड के मामले में सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापेमारी की गई। लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की गई। यहां जानना जरूरी है कि तिवारी के ठिकानों पर जब भी छापेमारी हुई तो इस तरह के सवाल उठते रहे हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ निजी खुन्नस निकालते हैं।
1985 में पहली बार विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री भी रहे
हरिशंकर तिवारी 1985 में चिल्लूपार से विधायक बने। उसके बाद से तो वो सीट एक तरह से तिवारी जी की सीट कही जाने लगी। चिल्लुपार और हरिशंकर एक दूसरे के पूरक बन गए। अगर जीत की बात करें तो 1989, 91, 93, 96 और 2002 में यहीं जीत हासिल की। उनकी इस कामयाबी का इनाम भी मिला और वो मंत्री बने। लेकिन 2007 में उनकी जीत पर विराम लगा जब पत्रकार से नेता बने राजेश त्रिपाठी ने बीएसपी के टिकट पर लड़ते हुए उन्हें हरा दिया। राजेश त्रिपाठी को 2012 में भी जीत हासिल हुई। लेकिन 2017 के चुनाव में बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे हरिशंकर के बेटे विनय शंकर ने पिता की प्रतिष्ठा फिर से हासिल कर ली।
अब वो बात नहीं, उम्र पड़ी भारी
हरिशंकर तिवारी अब उम्रदराज हो चुके हैं। धोती कुरता और सिर पर ऊनी टोपी उनकी पहचान है। अगर आप उनसे मिलकर बातचीत करें तो आप कह उठेंगे कि इस शख्स पर इतने मामले कैसे दर्ज हो सकते हैं। हिस्ट्रीशीटर रहे तिवारी पर कई संगीन आरोप दर्ज हैं। छात्र राजनीति के बाद रेलवे, सिविल और साइकल स्टैंड की ठेकेदारी से सफर शुरू करने वाले हरिशंकर तिवारी का परिवार अकूत संपत्ति का मालिक है।गोरखपुर के दक्षिणांचल में जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर उनका गांव है। राजनीति में आने से पहले अपराध जगत को सीढ़ी बनाकर राजनीति की दुनिया का हिस्सा बन गए।