बिठूर के दरोगा ने सुनाया बिकरू गांव की 'खूनी रात' का खौफनाक किस्सा, बताया क्या हुआ था

Kanpur encounter: बिठूर पुलिस थाने के दरोगा कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने गत दो जुलाई की रात बिकरू गांव में क्या हुआ था, उसका किस्सा बताया है। सिंह का कहना है कि बदमाशों ने घर की छतों से फायरिंग की।

 Kanpur encounter: SO Kaushalendra Pratap Singh recounts chilling details of D-day
बिकरू गांव में गत 2 जुलाई को हुई आठ पुलिसकर्मियों की हत्या।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • गत दो जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या हुई
  • हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके सहयोगियों ने घात लगाकर पुलिस पर किया हमला
  • गत शुक्रवार को कानपुर के पास पुलिस मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे

कानपुर (उत्तर प्रदेश) : कानपुर के गांव बिकरू में गत दो जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की बात जिसने भी सुनी वे सिहर उठा। अब इस हत्याकांड का प्रत्यक्ष गवाह रहे बिठूर पुलिस स्टेशन के दरोगा (एसओ) कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने 'खूनी रात' का खौफनाक किस्सा सुनाया है।  कौशलेंद्र यूपी पुलिस की उस 35 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे जो हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके गांव दबिश देने गई थी।

विनय तिवारी का फोन आया था
कौशलेंद्र ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, 'गत दो जुलाई को मुझे चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी के पास से रात करीब 12 बजे फोन आया। इसके बाद हम लोग गिरफ्तारी के लिए निकले। हम लोगों ने घटनास्थल से करीब दो से ढाई किलोमीटर पहले अपनी गाड़ी पार्क कर दी थी। जैसे ही हमलोग आगे बढ़ टीम पर करीब 20 राउंड फायरिंग हुई। अचानक गोलीबारी शुरू होने के चलते हमारी टीम बिखर गई। टीम में कुछ लोग बिना हथियार के थे उन लोगों ने अपनी जान बचाने की कोशिश की और जिनके पास हथियार थे उन्होंने पोजिशन लिया।''

कुछ पुलिसकर्मी बिना हथियार के थे
सिंह ने कहा, 'मैं दो पुलिसकर्मियों के साथ एक दीवार के पीछे बैठा था। मेरे पास पिस्टल थी लेकिन अन्य दोनों पुलिसकर्मी बिना हथियार के थे। हमारे कॉन्स्टेबल अजय सेंगर ने बताया कि उसके पेट में गोली लगी है। एक और पुलिसकर्मी के हाथ में गोली लगी। अपराधी घर की छतों से फायरिंग कर रहे थे इसलिए हम उन्हें देख नहीं पा रहे थे।' पुलिस अधिकारी ने बताया कि बदमाशों की तस्वीरें जब वायरल हुईं तो उनमें से कुछ पहचाने गए। 

एनकाउंटर करने की योजना नहीं थी
सिंह ने कहा, 'हम किसी तरह से घटनास्थल से निकलने के सफल हुए। एनकाउंटर करने की हमारी कोई योजना नहीं थी। मैं तो यह भी नहीं जानता था कि हम जिसे गिरफ्तार करने गए हैं वह व्यक्ति कौन है। हमें पहले से हमले का अंदेशा होता तो उस समय हालात कुछ दूसरे होते। मैं अपने पुलिस स्टेशन से 10 लोगों को लेकर गया था लेकिन इनमें से चार पुलिसकर्मियों के पास ही हथियार थे। पुलिस टीम जो दबिश देने गई थी उनमें से करीब 15 लोगों के पास हथियार थे।' सिंह ने बताया कि विकास को गिरफ्तार करने वाली टीम में करीब 35 पुलिसकर्मी थे।

गांव पहुंचे तो वहां लाइटें जल रही थीं
बिठूर के दरोगा ने आगे बताया, 'जब हम गिरफ्तार करने गांव पहुंचे तो वहां अंधेरा नहीं था। वहां लाइटें जल रही थीं इससे हमें नुकसान उठाना पड़ा। घर की छतों पर मौजूद अपराधी हमारी लोकेशन जान गए। तभी वहां पावर कट हो गया। इस समय तक विनय तिवारी हमारे साथ था लेकिन जब अपराधियों ने फायरिंग शुरू की तो वह पीछे छूट गया। हो सकता है कि उसने अपनी पोजिशन ली हो। जब मैं और मेदे कॉन्स्टेबल घायल हालत में घटनास्थल से निकलने में कामयाब हुए तो हमने तिवारी को रास्ते में पाया।'

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