सेनारी हत्याकांड: 22 साल पहले 34 सवर्णों की निर्मम हत्या से हिल गया पूरा देश, अब SC में सुनवाई

पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार शीर्ष अदालत में एक मजबूत केस पेश करने की तैयारी में है। अभियोजन पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसके पास इस मामले में 13 प्रत्यक्षदर्शी सहित 23 गवाह हैं।

Senari massacre : Now Supreme Court will hear Bihar govt plea against Patna HC verdict
बिहार के सेनारी गांव में गुई थी 34 लोगों की हत्या। 
मुख्य बातें
  • जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एमसीसी के कैडरों ने 34 सवर्णों की हत्या की
  • जहानाबाद की निचली अदालत ने इस हत्याकांड में 14 आरोपियों को सजा सुनाई
  • पटना हाई कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में सभी दोषियों को बरी किया, अब SC में सुनवाई

नई दिल्ली : साल 1999 के सेनारी हत्याकांड में आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अर्जी पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस हत्याकांड के 14 आरोपियों को पटना हाई कोर्ट ने बरी किया है। हाई कोर्ट के इस फैसले को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 22 साल पहले हुए इस हत्याकांड ने बिहार सहित पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। जहानाबाद जिले से सेनारी गांव की इस हत्याकांड की चर्चा लंबे समय होती रही। 

18 मार्च, 1999 को हुई 34 लोगों की जघन्य हत्या
जहानाबाद जिले के सेनारी गांव से उच्च जाति के 34 लोगों को घरों से निकालकर उनकी निर्ममता से हत्या की गई। इस हत्याकांड का आरोप प्रतिबंधित हो चुके एमसीसी पर लगा। एमसीसी के कैडर इन लोगों को घरों से निकालकर गांव के समीप एक मंदिर में ले गए और वहां इन 34 लोगों को बेदर्दी से हत्या की। यह हत्याकांड सवर्ण जातियों के संगठन रणवीर सेना और एमसीसी के बीच लंबे समय से जारी खूनी संघर्ष की एक बर्बर कहानी है। रणवीर सेना के मुखिया ब्रह्मेश्वर मुखिया साल 2012 से जेल में बंद हैं। 

15 नवंबर 2016 को जहानाबाद कोर्ट ने इस हत्याकांड के 11 आरोपियों को मौत और तीन आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई। इनमें से दोषी ठहराए गए तीन लोगों ने पटना हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। 

पटना हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को छोड़ा
गत 21 मई को मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड के सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया। जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह एवं जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य को अपर्याप्त पाया।   

एससी में मजबूती के साथ पक्ष रखेगी बिहार सरकार
पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार शीर्ष अदालत में एक मजबूत केस पेश करने की तैयारी में है। अभियोजन पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसके पास इस मामले में 13 प्रत्यक्षदर्शी सहित 23 गवाह हैं।  बिहार सरकार के वकील अभिनव मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि घटना के तरीके, स्थान, समय और दिन के बारे में किसी भी आरोपी ने सवाल नहीं उठाए, फिर भी पटना हाई कोर्ट ने सभी 14 दोषियों को रिहा कर दिया। मुखर्जी ने अदालत को बताया कि सरकार ने जो साक्ष्य पेश किए हैं, हाई कोर्ट का फैसला उसके विपरीत है।

बिहार में लंबे समय तक चला जातीय संघर्ष 
बिहार का करीब डेढ़ दशक का समय जातीय संघर्ष का इतिहास रहा है। 1990 से लेकर 2005 तक बिहार में बड़े पैमाने पर जातियों के बीच संघर्ष हुआ और हत्याएं हुईं। बताया जाता है कि दो दर्जन से ज्यादा जातीय संघर्षों में कई पुलिसकर्मियों सहित 400 से ज्यादा लोगों की हत्या हुई। बिहार में पिछला बड़ा जातीय संघर्ष अक्टूबर 209 में खगड़िया में हुआ। यहां के अलौली में ओबीसी के 16 लोगों की हत्या हुई।


 

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