हैदराबाद : तेलंगाना की एक विशेष अदालत ने पिछले साल नवंबर में एक दलित महिला से बलात्कार एवं हत्या जघन्य मामले में अपराध के दो महीने से भी कम समय में सुनवाई पूरी करते हुए तीनों दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई। अदालत ने तीनों पर 26-26 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। अनुसूचित जाति से संबंधित 30 वर्षीय महिला का शव 25 नवंबर, 2019 को कोमरम भीम-आसिफाबाद जिले के लिंगापुर मंडल में घटना के एक दिन बाद मिला था। उसकी गला रेतकर हत्या की गई थी। महिला के शरीर पर चाकू घोंपने के निशान थे।
तीनों आरोपियों शेख बाबू (35), शेख शाबुद्दीन (50) और शेख मकदूम (करीब 45) को 27 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। ये सभी मजदूरी का काम करते थे। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार) और 302 (हत्या) के अलावा अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
दूसरे एवं तीसरे आरोपी पर भादंसं की धारा 404 (बेईमानी से संपत्ति के गबन) का भी मामला दर्ज किया गया। अतिरिक्त सरकारी वकील एम रामना रेड्डी ने बताया कि बृहस्पतिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम जी प्रियदर्शिनी (विशेष अदालत की प्रभारी) ने यह फैसला सुनाया और तीनों दोषियों को भादंसं की धारा 302 एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून की संबंधित धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई।
तीनों को भादंसं की धारा 376 (डी) के तहत उम्रकैद जबकि दूसरे एवं तीसरे दोषी को पीड़िता का मोबाइल फोन और 200 रुपये नकद चुराने के अपराध में भादंसं की धारा 404 के तहत तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अतिरिक्त सरकारी वकील के अनुसार अदालत ने इसे ‘दुर्लभतम मामला’ माना क्योंकि यह न सिर्फ एक महिला से बलात्कार बल्कि उसकी पसलियां तोड़कर उसकी हत्या करने का जघन्य मामला है। महिला गुब्बारे बेचकर गुजारा करती थी।
फैसले पर खुशी जताते हुए पीड़िता के पति ने कहा, ‘हमें खुशी है कि न्याय मिला और हमने अदालत से अनुरोध किया है कि दोषियों को जल्द फांसी पर लटकाया जाए।’ तेलंगाना सरकार ने मामले में त्वरित सुनवाई के लिए पिछले महीने पांचवे अतिरिक्त सत्र अदालत को विशेष अदालत का दर्जा देने का आदेश जारी किया था। 14 दिसंबर, 2019 को इस संबंध में आरोप पत्र दायर किया गया और सुनवाई 23 दिसंबर से शुरू हुई। 20 जनवरी को दलीलें पूरी हुईं और मामले में फैसले के लिए तिथि तय की गई।
अभियोजन पक्ष ने मामले में 25 गवाहों को पेश किया और दिल्ली में निर्भय सामूहिक बलात्कार में दोषियों को दी गई मृत्युदंड की सजा की तर्ज पर ही इन दोषियों को भी मृत्युदंड देने का अनुरोध किया। इससे पहले तीनों आरोपियों ने मामले में खुद को बेकसूर बताया था। दिसंबर की शुरुआत में महिला के परिवार और विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन कर ‘दिशा’ (महिला पशुचिकित्सक) सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चारों आरोपियों की ‘मुठभेड़’ में मौत की तर्ज पर इन तीनों आरोपियों के लिए भी मृत्युदंड की मांग की। पशुचिकित्सक मामले में चारों आरोपी 6 दिसंबर, 2019 को हैदराबाद के बाहरी इलाके में पुलिस के साथ कथित गोलीबारी में मारे गए थे।