जयपुर। अब मंदिर में तो चढ़ावा ही चढ़ता है, भला यह कैसा सवाल है। दरअसल जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur development bribe news) को उसकी एक अधिकारी मंदिर मानती हैं, भला इसमें किसी को क्या आपत्ति होनी चाहिए। दरअसल वो मंदिर अगर लोगों की सेवा करता तो आपत्ति नहीं होती। लेकिन दफ्तर रूपी मंदिर पूरी तरह से रिश्वतखोर निकला। अब जब रिश्वतखोरी की चर्चा आम हुई तो अधिकारी की तरफ से सफाई आई कि भाई दफ्तर तो मंदिर है और मंदिर में चढ़ावा ही चढ़ता है। यानी कि उस अधिकारी ने कहा कि रिश्वत और चढ़ावे में किसी तरह का फर्क नहीं है।
रिश्वतखोरी में अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिश्वतखोरी के खेल में ना सिर्फ कर्मचारी बल्कि अधिकारी भी शामिल थीं। खास बात यह है कि रिश्वतखोरी में शामिल अधिकारी एंटी करप्शन ब्यूरो के छापे में बेशर्मी की तरह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने कहा कि मंदिर में चढ़ावा चढ़ता है और उनका दफ्तर मंदिर ही तो है।
क्या था मामला
एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत आई थी कि एक शख्स पुश्तैनी जमीन का पट्टा लेना चाह रहा था। इसके बदले में साढ़े छह लाख और करीब तीन लाख रुपए मांगे जा रहे थे। शिकायत के बाद जेडीए ने जाल बिछाया और कई अधिकारी पकड़ में आए।एसीबी के छापे के बाद हर कोई हैरत में था। जेडीए में एसीबी की कार्रवाई की हर तरफ वाहवाही हो रही है।
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