एनकाउंटर स्पेशलिस्ट (encounter specialists) नाम सुनते ही जेहन में एक ऐसी तस्वीर उभरती है जो खासी खौफनाक है, और फिल्मों के कुछ सीन जेहन में ताजा हो जाते हैं कि कैसे पुलिस अपराधी का एनकाउंटर कर रही है कैसे उस खुली सड़क पर पुलिस गाड़ी से उतारकर भागने को कहा जाता है और फिर उसे गोली मार दी जाती है, कैसे उसे एनकाउंटर दिखाया जाता है कि अपराधी ने भागने की कोशिश की तो उसे गोली मारना मजबूरी था। देश के पुलिस सिस्टम में एक से बढ़कर एक नामचीन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हुए हैं, यहां बात मुंबई पुलिस के कुछ ऐसे ही चेहरों की।
देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के पास 25 फरवरी को विस्फोटकों से भरे SUV की बरामदगी और उसके करीब 10 दिन बाद 5 मार्च को वाहन मालिक मनसुख हिरेन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे सवालों के घेरे में हैं। हिरेन की पत्नी ने अपने पति की हत्या का आरोप लगाते हुए वाझे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है
वहीं लेकिन मुंबई पुलिस ने 'एंटीलिया' मामले में आतंकी एंगल होने से इनकार कर दिया यह जांच एनआईए को सौंपी गई NIA ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे का 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया।
क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग के दौरान बाझे की पहचान 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' की बनी
महाराष्ट्र में कोल्हापुर के रहने वाले सचिन वाझे साल 1990 में सब-इंस्पेक्टर के रूप में राज्य पुलिस में भर्ती हुए थे। सबसे पहले उनकी पोस्टिंग नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली में हुई थी और फिर उन्हें ठाणे में तैनाती मिली। मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के खिलाफ अभियान शुरू किया था। मुंबई पुलिस की कार्रवाई में उस दौरान कई शार्प शूटर्स को एंकाउंटर में मार गिराया गया था। इसी दौर में वाझे का तबादला मुंबई में हुआ था।
ठाणे से मुंबई तबादले के बाद वाझे की तैनाती क्राइम ब्रांच में हुई और इसी दौरान उनकी पहचान एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की बनी। बताया जाता है कि अंडरवर्ल्ड की दुनिया के 60 से ज्यादा शार्प शूटर्स के एनकाउंटर में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
मुंबई पुलिस (Mumbai Police) में वाझे से पहले भी तमाम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे हैं जिन्होंने अपने करियर में एक से एक दुर्दांत आपराधियों को मौत के घाट उतारा है..
दया नायक की बात किए वगैर बात रहेगी अधूरी
मुंबई अंडरवर्ल्ड के 80 से अधिक अपराधियों का एनकाउंटर करने वाले दया नायक (Daya Nayak) पिछले कुछ सालों में खासा विवादों में भी घिरे रहे, जब आय से अधिक उनकी संपत्ति को लेकर उनके खिलाफ जांच शुरू की गई थी।कर्नाटक के एक छोटे से गांव से मुंबई पुलिस तक की दया नायक की जिंदगी भी कम रोचक नहीं है।
1995 में दया जुहू में सब इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए। यही वो दौर था जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड सक्रिय था और सड़कों पर गैंगवार आम बात हुआ करती थी बस इसके बाद से ही नायक की रफ्तार इतनी तेज हो गई कि फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1996 में नायक ने पहला एनकाउंटर किया था, जो अब तक 83 तक पहुंच चुका है। बताया जाता है कि दया नायक के पास दो बंदूकें हुआ करती थीं, एक .38 रिवॉल्वर और एक 9 एमएम पिस्टल।
साल 2004 में मकोका कोर्ट ने ऐंटी करप्शन ब्रांच को नायक की संपत्ति की जांच के निर्देश दिए। एसीबी ने छह जगहों पर छापे मारे, जहां से मिली संपत्ति ने लोगों के होश उड़ा दिए थे।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा (Pradeep Sharma)
महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ ने 150 से ज्यादा अपराधियों और आतंकियों के साथ एनकाउंटर किया है हालांकि प्रदीप शर्मा (Pradeep Sharma) ने 2019 में ठाणे एंटी एक्सटॉर्शन सेल के प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया और स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट लिया है। प्रदीप शर्मा को 2008 में लखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में 13 अन्य पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी भी हुई थी लंबे समय तक निलंबित रहने के बाद 2013 में उन्होंने फिर से पुलिस सेवा ज्वाइन की थी।
प्रदीप शर्मा को अंडरवर्ल्ड में अपने नेटवर्क के लिए भी जाना जाता है। वह 1983 में महाराष्ट्र पुलिस सेवा में शामिल हुए। जिसके बाद उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच टीम का हिस्सा बनाया गया। इस टीम को मुंबई से अंडरवर्ल्ड को खत्म करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
जिसके बाद शर्मा ने एक के बाद एक कई मुठभेड़ में नाम कमाया। शर्मा ने दाऊद के भाई इकबाल कासकर को भी गिरफ्तार किया और जबरन वसूली रैकेट का भंडाफोड़ किया था। 90 के दशक में इस टीम ने मुंबई में अंडरवर्ल्ड के 300 से ज्यादा अपराधियों को मार गिराया। हालांकि इनमें से कई एनकाउंटर विवादित भी रहे।
रवींद्र आंग्रे के नाम पर मुंबई और ठाणे में करीब 50 से ज्यादा एनकाउंटर दर्ज
वहीं पुलिस अधिकारी रवींद्र आंग्रे (Ravinder Angre) के नाम पर मुंबई और ठाणे में करीब 50 से ज्यादा एनकाउंटर दर्ज हैं उन्होंने डोंबिवली में आतंकी सुरेश मंचेकर और उसकी गैंग को मौत के घाट उतारा था। फर्जी एनकाउंटर और हफ्ता वसूली के आरोप में रवींद्र 14 माह जेल तक जेल में रहे थे परंतु आरोप सिद्ध न होने पर उन्हें छोड़ दिया गया था वहीं अब मुंबई पुलिस के सचिन बाझे सुर्खियों में बने हुए हैं।