रोहतक/भटिंडा : टिकरी बॉर्डर पर एक 25 साल की महिला एक्टिविस्ट का अपहरण और फिर उसके साथ गैंगरेप करने के आरोप में हरियाणा पुलिस ने रविवार रात छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। आरोपियों की पहचान अनिल मलिक, अनूप सिंह, अंकुश सांगवान, जगदीश बरार के रूप में हुई है। आरोपियों की मदद करने में दो महिलाओं की संलिप्तता भी उजागर हुई है। इन सभी आरोपियों ने टिकरी बॉर्डर पर किसान सोशल ऑर्मी नाम से अपना टेंट लगाया था। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 365, 342, 376-डी, 506, 120-बी के तहत केस दर्ज हुआ है।
हुगली में आरोपियों के संपर्क में आई एक्टिविस्ट
एफआईआर के मुताबिक आरोपियों सहित किसानों का एक शिष्टमंडल गत एक अप्रैल को बंगाल के हुगली में एक सभा की थी। पीड़ित लड़की जो कि कलाकार एवं डिजायनर थी, इन आरोपियों के संपर्क में आई। बाद में महिला एक्टिविस्ट ने दिल्ली में किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने परिजनों को तैयार किया। गत 11 अप्रैल को लड़की जब ट्रेन में सवार होकर पंजाब आ रही थी तो अनिल मलिक ने उसके साथ बदसलूकी करने की कोशिश की लेकिन महिला एक्टिविस्ट किसी तरह उससे बच निकली। 12 अप्रैल को दिल्ली में धरनास्थल पहुंचने पर पीड़िता को आरोपियों के साथ टेंट साझा करने के लिए दबाव बनाया गया।
महिलाओं के साथ दूसरे टेंट में शिफ्ट किया गया
एफआईआर के मुताबिक लड़की ने फोन पर अपने पिता को बताया कि आरोपी उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। वे उसे दबाव में लेने और ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थे। लड़की के साथ घटना सामने आने पर परिजनों ने इस मामले को किसान नेताओं के संज्ञान में लाया और लड़की के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई। इसके बाद लड़की को दूसरे महिला प्रदर्शनकारियों के साथ एक अन्य टेंट में शिफ्ट कर दिया गया।
गत 30 अप्रैल को लड़की ने दम तोड़ा
पिछले 21 अप्रैल को पीड़ित लड़की को बुखार होने पर अस्पताल ले जाया गया जहां उसे कोरोना से संक्रमति होने का पता चला। दिल्ली के अस्पताल में जब पीड़ित लड़के के पिता पहुंचे तो उसने बताया कि आरोपियों ने ट्रेन और टेंट में उसका यौन उत्पीड़न किया। लड़की की एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गत 30 अप्रैल को मौत हो गई। मरने से पहले पीड़िता ने आरोपियों को सजा देने की मांग की। साथ ही उसकी इच्छा है कि किसान आंदोलन को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। टिकरी बॉर्डर पर अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटना को लड़की ने वहां किसान नेताओं को बताया था। फिर भी एफआईआर दर्ज होने में इतनी देरी क्यों हुई इस पर कोई भी किसान नेता खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है।