कोलकाता : देश में समलैंगिक समुदायों को कानून जायज ठहरा दिया गया है। पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कहा कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं है। हालांकि भले ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस पर अपना बेबाक फैसला सुना दिया और समलैंगिकों को भी बाकियों के जैसे समान और सम्मानपूर्वक जिंदगी जीने का अधिकार दे दिया लेकिन आज भी देश में लोग इस मानसिकता से उपर नहीं उठ पाए हैं।
पश्चिम बंगाल के बारासात के रहने वाले एक गे कपल ने पुलिस से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि उन्हें उनके परिवार से जान का खतरा है। उनमें से एक ने बताया कि मेरे पिता ने मुझे जान से मारने की धमकी दी है। मेरा परिवार मुझे इस तरह से स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मैं सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा हूं। मेरे पार्टनर की लाइफ भी सुरक्षित नहीं है।
बता दें कि अब भारत में दो समान लिंगों वाले लोगों के बीच शारीरिक संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं रहे। समलैंगिक समुदायों को अब भारत में कानूनन ठहरा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को धारा 377 से बाहर कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन आकर्षण प्राकृतिक होता है और इस प्रवृत्ति से इंकार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सेक्शन 377 को अपराध घोषित करने का अर्थ ये होगा कि कहीं न कहीं हम उस समुदाय की भावना का सम्मान नहीं कर रहे हैं।