नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में हुई हिंसा की घटनाओं की विस्तृत जांच के लिए एक नाबालिग लड़की सहित कई महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे कथित सामूहिक बलात्कारों का भयावह विवरण सामने आया है। बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के साथ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से हमला और सामूहिक बलात्कार की पीड़ित महिलाओं ने कई हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की हैं।
'इंडिया टुडे' की खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिकाओं में इन महिलाओं ने अपने मामलों में अदालत की निगरानी में सीबीआई/एसआईटी जांच की भी मांग की है। यौन हिंसा की एसआईटी जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग आवेदन दायर किए गए हैं। आवेदकों में से एक 60 वर्षीय महिला ने अपने आवेदन में भयानक दर्दभरी कहानी का खुलासा किया है।
बंगाल की 60 वर्षीय महिला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसके छह साल के पोते के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जबकि उसकी बहू को पीटा गया।
घर छोड़ने की धमकियां दी गईं
विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 3 मई को आवेदक के घर को लगभग 100-200 लोगों की एक बड़ी भीड़ ने घेर लिया था, जिसमें तृणमूल कांग्रेस पार्टी के समर्थक शामिल थे और उन्हें जोरदार धमकियां दी गईं और उनके परिवार को छोड़ने के लिए कहा गया। ऐसा नहीं करने पर उन्हें परिणाम भुगतने के धमकी दी गई...आवेदक की बहू को बेरहमी से पीटा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
बेरहमी से किया हमला
आवेदन में कहा गया है कि महिला के साथ न केवल बलात्कार किया गया, बल्कि उसे जहर भी दिया गया, '4 मई की मध्यरात्रि को लगभग 12.30 बजे, पांच व्यक्ति, जो टीएमसी के पार्टी कार्यकर्ता थे वो सभी आवेदक के घर आए और जबरन अंदर घुस गए...आवेदक को थप्पड़ मारा गया, पीटा गया, हथकड़ी लगाई गई और उसे बिस्तर से बांध दिया गया।' आवेदन में कहा गया है कि चार लोगों का एक समूह दोनों को घसीटकर पास के जंगल में ले गया, जहां उन्होंने 17 वर्षीय के साथ मारपीट की और एक घंटे से अधिक समय तक उसके साथ बलात्कार किया। उसने दावा किया कि उस पर केवल उसके परिवार के राजनीतिक जुड़ाव और धार्मिक विश्वासों के लिए हमला किया गया और सामूहिक बलात्कार किया गया।
उसने पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाया और कहा कि उस पर प्राथमिकी वापस लेने के लिए दबाव डाला गया। आवेदन में आरोप लगाया गया है कि स्थानीय टीएमसी नेताओं ने उनके परिवार को धमकाया। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में 17 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे बाल कल्याण गृह भेजा गया था, और उसे अपने परिवार से मिलने नहीं दिया गया था।