Board Exam 2022 Online or Offline: एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटे में लगभग 950 कोविड पॉजिटिव केसेज मिले है, जबकि 6 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। कोविड का असर फिर से मेट्रो शहर में ज्यादा देखने को मिल रहा है। दिल्ली और एनसीआर जैसे शहरों में कोविड -19 मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। जैसा कि पिछले कुछ दिनों से सकारात्मकता दर बढ़ रही है, सबसे चिंताजनक बात यह है कि लगभग दो साल के अंतराल के बाद स्कूल खोले गए और दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में छात्र व शिक्षक दोनों कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यह नंबर कब बढ़ जाएंगे किसी को नहीं पता, हो सकता है कि यह नियंत्रण में रहे, या फिर यह फिर से किसी भयावह स्थिति का संकेत हो सकता है। इधर स्कूल खुलने के साथ साथ ऑफलाइन परीक्षा का भी आयोजन शुरू हो गया है, लगभग सभी परीक्षाएं अपने पुराने पैटर्न में परीक्षा आयोजित कर रही हैं, जबकि सीबीएसई भी ऑफलाइन मोड में टर्म 2 पेपर का आयोजन 26 अप्रेल से करने जा रहा है।
यदि मौजूदा प्रवृत्ति जारी रहती है, तो मई तक यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है, जिससे निपटना आसान नहीं होगा। इधर सीबीएसई ने फैसला लिया है कि छात्रों को दूर परीक्षा केंद्र भेजा जा सकता है, जबकि टर्म1 परीक्षा में ऐसा नहीं था। इस निर्णय के बाद से एक बार फिर से मामला गर्मा गया है, क्योंकि कई लोग इसे सही बता रहे हैं जबकि ज्यादातर लोग इसके पीछे के लॉजिक को नहीं समझ पा रहे हैं। सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि मेडिकल प्रोफेशन के विशेषज्ञ भी स्कूलों से दूर परीक्षा केंद्र देने के विचार के विपरीत हैं।
एक छोटी सी गलती बन सकती है आपदा
आलोचकों का तर्क है कि पास में परीक्षा केंद्र होने से बेहतर सुरक्षा वातावरण मिलता। आने जाने में कम समय लगता, पैसे बचते व अन्य फायदे भी होते। इससे उन्हें परीक्षा केंद्र तक आसानी से पहुंचने का अवसर मिलता। यदि उसी स्कूल में व्यवस्था की जाए, तो यह और भी बेहतर है क्योंकि छात्र उस स्कूल के माहौल से अधिक परिचित होता है, इसलिए बेहतर तरीके से सुरक्षा का ख्याल रख सकता है। इसके अलावा चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड -19 दिशानिर्देशों का पालन करते समय थोड़ी सी भी गलती आपदा का कारण बन सकती है।
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हालांकि सीबीएसई ने टर्म-2 की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कुछ दिन पहले ही गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन इसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उसने परीक्षा केंद्र दूर क्यों रखें की अवधारणा को छात्रों के लिए दूर के केंद्रों में क्यों बदल दिया है, जब एक और कोविड -19 लहर की बहुत संभावना है।
इसके अलावा यह भी सवाल उठ रहे हैं कि कई छात्र पिछले दो वर्षों से नियमित शारीरिक कक्षाओं में शामिल नहीं हुए हैं और ऐसे में ऑफलाइन परीक्षा के लिए वे मनोवैज्ञानिक रूप से कितने तैयार है, इसके बारे में कोई कदम नहीं लिया गया है।
कई लोग टर्म -1 परीक्षाओं के प्रदर्शन के आधार पर अंतिम परिणाम की मांग कर रहे हैं।