भारत में कोरोनावायरस अभी भी काल बनकर लोगों को परेशान कर रहा है। इस परिस्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है कि सीबीएसई कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया जाए। केंद्र सरकार ने यह फैसला बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का ख्याल रखते हुए लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस परिस्थिति में बच्चों को परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। सरकार ने आगे यह बताया कि सही मानदंडों के अनुसार समयबद्ध तरीके से बच्चों को इवेलुएट किया जाएगा। इसी बीच छात्रों और अभिभावकों के मन में परीक्षा और इसके इवेल्यूएशन से आधारित कई सवाल हैं। जैसे, बच्चों का मूल्यांकन किस आधार पर किया जाएगा?
सेनगुप्ता ने बताया कैसे होगा मूल्यांकन
सरकार के इस फैसले पर मीता सेनगुप्ता ने यह बताया कि सरकार इन प्रश्नों के जो भी समाधान देगी वह समझदारी, अनुभव और बुद्धिमता पर आधारित होंगे। यह फैसले कुछ लोगों के लिए सही नहीं होंगे और हो सकता है कि उन्हें कुछ परेशानी आए, मगर सरकार ने इन सभी समस्याओं को कम करने के लिए समाधान दिए हैं। सरकार के फैसले के बाद बच्चों के रिजल्ट के मूल्यांकन को लेकर सेनगुप्ता ने कुछ सुझाव दिए हैं जैसे मूल्यांकन के लिए कक्षा 10वीं के बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट, 11वीं और 12वीं के इंटरनल एसेसमेंट को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि कक्षा 11वीं और 12वीं के इंटरनल एसेसमेंट सीबीएसई के सर्कुलर के आधार पर होते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने भी किया सरकार का समर्थन
फैसला आने के बाद दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल ने सरकार को धन्यवाद देते हुए खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला बहुत बड़ी राहत है। मंगलवार को बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था कि बच्चों का स्वास्थ्य उनके लिए सर्वोपरि है। छात्र, अभिभावक और शिक्षक सब बच्चों के स्वास्थ्य के लिए चिंता कर रहे थे और इसी बीच बोर्ड एग्जाम की परेशानी ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया था जिसे दूर करना महत्वपूर्ण था।
सीआईसीएसई ने भी रद्द कर दी है परीक्षा
सरकार का यह फैसला सुनने के बाद सीआईएससीई ने भी 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी है। इस बात की जानकारी देते हुए बोर्ड सेक्रेट्री Gerry Arathoon ने कहा कि बच्चों के इवोल्यूशन प्रोसेस के बारे में जल्द सूचित किया जाएगा। इसी बीच एजुकेशन स्ट्रेटजिस्ट मीता सेनगुप्ता ने यह बोला कि इस परिस्थिति में अमीर लोग अपने कार से एग्जाम सेंटर पहुंच जाएंगे मगर गरीब लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा जो इस समय खतरों से खाली नहीं है। इसीलिए यह फैसला लेना आवश्यक था।