नयी दिल्ली: 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए सीबीएसई द्वारा निर्णित मूल्यांकन फार्मूला पर विशेषज्ञों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे 'पक्षपात रहित और समयबद्ध' बताया तो कुछ ने इसे 'उपयुक्त नहीं' करार दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि समय के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को इसमें नुकसान होगा।केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (cbse) ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह दसवीं कक्षा, 11वीं कक्षा और 12वीं कक्षा के परिणामों के आधार पर 12वीं कक्षा के छात्रों के अंक मूल्यांकन में क्रमश: 30:30:40 का फार्मूला अपनाएगा।
तीस फीसदी अंक दसवीं बोर्ड परीक्षा के आधार पर, अगले 30 फीसदी अंक 11वीं कक्षा के और 40 फीसदी अंक 12वीं कक्षा के यूनिट, मध्य टर्म और प्री-बोर्ड परीक्षाओं के आधार पर दिए जाएंगे।कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए एक जून को सीबीएसई की 12वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने में शामिल फिक्की अराइज के अध्यक्ष मानित जैन ने कहा, 'यह गलत व्यवस्था है। इस तरह के मानकों के साथ कोई सही करने का प्रयास नहीं कर सकता है,खासकर एक वर्ष में जब छात्रों को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ा है। सीबीएसई द्वारा दसवीं कक्षा के लिए जारी मूल्यांकन फार्मूला ज्यादा बेहतर था।'
वसुंधरा गाजियाबाद की प्राचार्य-सह-निदेशका सुश्री मंजू राणा ने सराहा फैसले को
सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, वसुंधरा गाजियाबाद की प्राचार्य-सह-निदेशका सुश्री मंजू राणा ने कहा-सीबीएसई ने 30:30:40 फॉर्मूले पर बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन का प्रस्ताव दिया है जो सराहनीय है। पिछला पूरा साल कोविड का संकट देखते हुए केवल गत एक साल के प्रदर्शन पर विचार करने के बजाय दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में विद्यार्थी के शैक्षिक प्रदर्शन पर विचार करने का निर्णय मूल्यांकन का निष्पक्ष और विश्वसनीय आधार लगता है। सीबीएसई का यह निर्णय भी स्वागत योग्य है जो विद्यार्थी इस परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे निकट भविष्य में जब और जैसे परीक्षा होगी उसमें शामिल हो सकते हैं। बोर्ड परीक्षाओं के रद्द होने से आए ठहराव का अंत देख कर मैं बहुत प्रसन्न हूं। आगामी 31 जुलाई तक परिणाम घोषित हो जाएंगे और विद्यार्थी समय से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिले के आवेदन कर सकेंगे।
निर्मल भारतीया स्कूल के अंग्रेजी विभाग प्रमुख जुगनू सिंह ने ये कहा
निर्मल भारतीया स्कूल के अंग्रेजी विभाग प्रमुख जुगनू सिंह ने कहा-सीबीएसई ने बारहवीं के परिणाम देने के लिए कक्षा 10 और 11 के परिणामों को शामिल कर मूल्यांकन का बहुत व्यापक मानक देने की कोशिश की है। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि कक्षा 10 और 11 के छात्रों की मानसिकता और अध्ययन का स्तर बहुत अलग होता है। कक्षा 10 और 11 के लिए 30 प्रतिशत का वेटेज बहुत अधिक लगता है जो शायद उन्हें बहुत अच्छा नहीं लगे। और फिर स्कूल और बोर्ड परीक्षा के परिणामों को मिलाना भी उचित नहीं है। दरअसल कक्षा 11 के छात्रों में उतनी गंभीरता भी नहीं आती यह भी ध्यान में रखना होगा। इसके बाद 12वीं बोर्ड की तैयारी शुरू करने के साथ वे गंभीर हो जाते हैं। हम कक्षा के 10 सीबीएसई परिणामों के समान मानक बना सकते थे।
श्री नलिनी रामदास, कक्षा बारह के आर शिवेश की मां, सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, वसुंधरा, गाजियाबाद
बारहवीं बोर्ड परीक्षा 2021 के मूल्यांकन की नीति के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव होंगे। पहली बात तो यह कि उच्चतर माध्यमिक के छात्र ग्यारहवीं की तैयारी करते समय बोर्ड परीक्षा के साथ विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। नीट, जेईई, आईपीएम, सीलैट आदि प्रवेश परीक्षाएं बहुत प्रतिस्पर्धी हैं। इसलिए दसवीं बोर्ड के अंकों पर विचार करना सबसे सही रहेगा क्योंकि सीबीएसई ने सभी छात्रों के लिए इस बोर्ड परीक्षा का आयोजन किया था। इससे कक्षा 11 एवं 12 में विशेषज्ञता का जो भी विषय हो सभी छात्रों के मूल्यांकन में एकरूपता रहेगी। अधिकतर स्कूल बारहवीं कक्षा की प्रायोगिक परीक्षाएं लेते हैं जिनमें स्कूल के शिक्षक और बाहरी परीक्षक छात्रों के विषय ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं। इस तरह प्रायोगिक परीक्षा के अंकों पर विचार करने से भी एकरूपता आएगी। जहां तक ग्यारहवीं और बारहवीं के सैद्धांतिक परीक्षा की बात है अधिकतम ऑनलाइन परीक्षाएं हुई हैं। हम कह नहीं सकते कि घर परीक्षा देते समय छात्र किस मानसिक दबाव में रहे होंगे। इसलिए कक्षा 11 और 12 के आंतरिक अंकों को महत्व देने पर पर पुनर्विचार करना होगा।
सेठ आनंद राम जयपुरिया शिक्षण संस्थान समूह के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा कि दसवीं कक्षा में तीन बेहतर विषयों के 30 फीसदी अंक को शामिल करना अच्छा निर्णय है क्योंकि बोर्ड परीक्षाएं मानक आकलन मुहैया कराती हैं।
हेरिटेज एक्सपिरिएंशियल लर्निंग स्कूल की निदेशक नीना कौल ने मानक लचीला और स्पष्ट बताया
हेरिटेज एक्सपिरिएंशियल लर्निंग स्कूल की निदेशक और प्रिंसिपल सुश्री नीना कौल का कहना है कि मूल्यांकन का नया मानक लचीला और स्पष्ट है। स्कूलों को विद्यार्थियों के मूल्यांकन की स्पष्ट प्रक्रिया सुनिश्चित करने की सुविधा दी गई है। हालांकि इस मानक में कक्षा 10 के मूल्यांकन को शामिल करना विद्यार्थियों के हित में नहीं होगा क्योंकि कक्षा 10 और कक्षा 11 के विषय, संरचना और शैक्षिक दृष्टिकोण में बहुत अंतर होता है और कक्षा 10 के औसत अंकों का कक्षा 12 के अंकों पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि दोनों कक्षाओं के विषय भिन्न हैं। हेरिटेज एक्सपिरिएंशियल में पहले से ही मूल्यांकन की मजबूत पद्धति है इसलिए बोर्ड के मानकों को लागू करना हमारे लिए कठिन नहीं होगा।
पाल अग्रवाल, कक्षा बारहवीं का छात्र 2020-21 बैच, सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, वसुंधरा, गाजियाबाद,12वीं बोर्ड परीक्षा के मूल्यांकन की नीति 2021 के बारे में विचार-अभी-अभी सीबीएसई ने मूल्यांकन की नीति जारी की है और फिलहाल यही सबसे बड़ी बहस का मुद्दा है। जहां तक मैं इसका नफा-नुकसान समझता हूं मुझे लगता है कि टॉपर्स को खास नुकसान नहीं है क्योंकि वे हमेशा अच्छा करते रहे हैं और उनके 12 वीं कक्षा के परिणाम में ज्यादा बदलाव नहीं दिखेगा। लेकिन कुल छात्रों में केवल 5-10 फीसदी ऐसे छात्र होते हैं। लेकिन जिन छात्रों ने 10 वीं के परिणाम के आधार पर अपनी पसंद का विषय चुन कर बेहतर करने की कोशिश की जैसा कि हम में से अधिक करते हैं उन्हें थोड़ा झटका लग सकता है जो उन्हें वापस पीछे खींच लेगा। हालांकि यह प्रावधान भी तो है कि कक्षा 10 के परिणाम के तहत 5 में सर्वोपरि 3 विषयों का आधार होगा जो नीति निर्माता का हमारे भविष्य के लिए चिंतित होने और बेहतरीन रास्ता निकालने की उनकी सूझबूझ का परिचायक है। फिर ऐसे भी बच्चे हैं जो इस साल महामारी में मानसिक तनाव के कारण पढ़ाई में मन नहीं लगा पाए और इस नीति के तहत उन्हें कक्षा 10 के परिणाम का लाभ मिलेगा। मैं समझती हूं कि केवल 12 वीं के परिणाम के आधार पर परिणाम घोषित करना बहुत से विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा क्योंकि कुछ छात्र कदाचार में लिप्त होकर अनावश्यक प्रतिस्पर्धा बढ़ा देते। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि मौजूदा हालात में सबसे अच्छा समाधान यही है।
द हेरीटेज स्कूल के सीईओ विष्णु कार्तिक की ऐसी थी प्रतिक्रिया
द हेरीटेज स्कूल के सीईओ विष्णु कार्तिक के मुताबिक, सीबीएसई द्वारा जो फार्मूला तय किया गया है वह समयबद्ध लागू किया जाने वाली रूपरेखा है लेकिन यह सही प्रक्रिया से कहीं अधिक दूर है।उन्होंने कहा, 'हमारे पिछले आंकड़े दर्शाते हैं कि 11वीं या दसवीं कक्षा में प्रदर्शन 12वीं कक्षा में प्रदर्शन का उचित अनुमान नहीं है। दसवीं कक्षा के 'तीन बेहतर'अंक शामिल करने का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है क्योंकि इनका 12वीं कक्षा के विषयों पर प्रभाव नहीं होता है।'
रोहिणी में एमआरजी स्कूल के निदेशक रजत गोयल ने कहा कि सीबीएसई द्वारा तय किए गए और उच्चतम न्यायालय द्वारा मंजूर किए गए मानक महत्वपूर्ण पहलुओं पर कुछ सवाल पैदा करते हैं।उन्होंने कहा, 'बच्चे 11वीं कक्षा में थोड़ा निश्चिंत हो जाते हैं, इसलिए औसत उत्तीर्णांक ठीक नहीं है। इसके अलावा दसवीं कक्षा में समाज शास्त्र जैसे विषयों और भौतिकी, रसायन एवं गणित का स्पष्ट अलग अलग अंक नहीं होना, 12वीं कक्षा की पद्धति से पूरी तरह अलग है।'