Career Tips: लोग कई तरह की परेशानियों से जूझते रहते हैं। सभी के जीवन में कई ऐसे मौके आते हैं, जब उन्हें समझ में नहीं आता कि, अब आगे क्या करना है। ऐसे समय में उनकी सबसे ज्यादा मदद करते हैं काउंसलर। एक एक ऐसा करियर ऑप्शन है, जो बेहद तेजी से उभर रहा है। आज के समय में हर कोई काउंसलर की मदद लेकर अपनी परेशानियों से निजात पाना चाहता है। अगर आपके अंदर लोगों के समस्याओं का समाधान करने का हुनर है तो आप इस फील्ड में अपना शानदार करियर बना सकते हैं।
काउंसलिंग का अर्थ केवल करियर काउंसलिंग से नहीं होता है, यह कई रूपों में कार्य करती है। आप इस फील्ड से जुड़े कोर्स करके करियर काउंसलर, मेंटल काउंसरल या फिर स्कूल काउंसलर बन सकते हैं। आज के समय में देश के कई यूनिवर्सिटी काउंसलर से संबंधित कोर्स करा रही है। हम इस आर्टिकल में आपको काउंसलिंग फील्ड में करियर बनाने से संबंधित सभी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
काउंसलर बनने के लिए उपलब्ध कोर्स
काउंसलिंग के फील्ड में करियर बनाने के लिए छात्र 12वीं के बाद डिप्लोमा या अन्य कोर्स कर सकता है। इसमें आप 12वीं के बाद सर्टिफिकेट इन काउंसलिंग या डिप्लोमा इन एजुकेशन काउंसलिंग कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा ग्रेजुएशन के बाद पीजी डिप्लोमा इन काउंसलिंग साइकोलॉजी/ गाइडेंस एंड काउंसलिंग/ साइकोलॉजिकल काउंसलिंग का ऑप्शन भी मिलता है। यह सभी एक साल के डिप्लोमा कोर्स हैं।
ग्रेजुएशन कोर्स
काउंसलिंग में कई ग्रेजुएशन कोर्स भी हैं। इसमें आप बीए, बीएससी इन साइकोलॉजी और एप्लाइड साइकोलॉजी जैसे कोर्स कर सकते हैं। यह सभी तीन साल के कोर्स हैं।
मास्टर कोर्स
ग्रेजुएशन के बाद अगर आप अगर आप इस फील्ड से संबंधित कोर्स करना चाहते हैं तो आप एमए, एमएससी साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी, काउंसलिंग एंड साइकोथेरेपी और एप्लाइड साइकोलॉजी कोर्स कर सकते हैं। यह सभी दो साल के कोर्स हैं।
अन्य कोर्स
साइकोलॉजी में मास्टर के बाद अगर आगे की पढ़ाई भी जारी रखना चाहते हैं तो इसका भी ऑप्शन मौजूद है। मास्टर के बाद आप एमएड इन गाइडेंस साइकोलॉजी या फिर एमफिल इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग कर सकते हैं।
इन यूनिवर्सिटी से कर सकते हैं कोर्स
दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर
महाऋषि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, बनारस
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज, मुंबई
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक कोऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट, नई दिल्ली
नेशनल काउंसिल ऑफ़ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT), नई दिल्ली
काउंसलर बनने के लिए जरूरी स्किल्स
एक्टिव लिसनिंग स्किल्स
काउंसलर बनने के लिए लिसनिंग स्किल्स बेहतर होना जरूरी है। आपके अंदर लोगों की समस्याओं को सुनने की क्षमता होनी चाहिए और उनकी बातें समझना भी आना चाहिए। यह एक काउंसलर के लिए बेहद जरूरी गुण है।
धैर्य बनाए रखना आवश्यक
काउंसलर के अंदर धैर्य भी बहुत जरूरी है। काउंसलर को हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना चाहिए। चाहे कोई भी विषम परिस्थिति क्यों ना हो काउंसलर में हर स्थिति संभालने की काबिलियत होनी चाहिए।
नॉन जजमेंटल व्यवहार
काउंसलर को अपने सामने समस्या लेकर आने वाले व्यक्ति को कभी उसकी परिस्थिति के अनुसार जज नहीं करना चाहिए। काउंसलर का यह बेसिक गुण है कि वह अपने क्लाइंट के साथ नॉन जजमेंटल व्यवहार करें।
लोगों की परेशानियों में इंटरेस्ट
अगर कोई काउंसलर दूसरों के परेशानियों में दिलचस्पी नहीं ले रहा तो वह काउंसलर के बेसिक गुण से स्वयं को अलग कर रहा है। काउंसलर बनने के लिए यह आवश्यक है कि आप लोगों की परेशानियों को सुनें और उनका निवारण करें।