दिल्‍ली हिंसा: हर तरफ था खौफ का मंजर, जला दी गई थीं किताबें, पर हौसलों की उड़ान से इन लड़कियों ने किया कमाल

एजुकेशन
आईएएनएस
Updated Jul 25, 2020 | 09:23 IST

North east Delhi students: उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली में फरवरी में हिंसा उस वक्‍त भड़क गई थी, जब 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं चल रही थीं। तमाम मुश्किलों के बवजूद स्‍टूडेंट्स ने परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया।

दिल्‍ली हिंसा: हर तरफ था खौफ का मंजर, जला दी गई थीं किताबें, पर हौसलों की उड़ान से इन लड़कियों ने किया कमाल
दिल्‍ली हिंसा: हर तरफ था खौफ का मंजर, जला दी गई थीं किताबें, पर हौसलों की उड़ान से इन लड़कियों ने किया कमाल  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • उत्‍तर-पूर्वी दिल्‍ली में फरवरी में भड़की हिंसा के बाद कई लोगों की जिंदग‍ियां बेपटरी हो गईं
  • स्‍टूडेंट्स को भी काफी मुश्किलें आईं, जो उस वक्‍त 10वीं व 12वीं की परीक्षा दे रह थे
  • हर तरफ खौफ के साये के बीच उन्‍होंने मुश्किल हालात में तैयारी की और अव्वल भी आए

नई दिल्ली : उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों ने यूं तो सब कुछ बदलकर रख दिया, जिंदगियां ही बेपटरी हो गईं, फिर भी दंगा प्रभावित इलाकों में रह रहे छात्रों के हौसले कम नहीं हुए। हाल ही में 10वीं और 12वीं के छात्रों के जो रिजल्ट घोषित किए गए, उसमें 12वीं की छात्रा नरगिस नसीम ने 62 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। नरगिस पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट गया था, जब दंगों के दौरान दंगाइयों ने उसके घर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें उसकी सारी किताबें जल कर खाक हो गईं।

दंगों में खाक हो गई थीं किताबें

25 फरवरी को नरगिस का घर जलकर खाक हो गया, घर में रखा सारा सामान जला दिया गया। बिना किताबों के नरगिस ने अपने एक रिश्तेदार के घर में रहकर परीक्षा दी। नरगिस ने आईएएनएस को बताया, 24 फरवरी को मेरा शारीरिक शिक्षा का पेपर था। रास्ते में ही मेरे घर के पास खजूरी खास में हिंसा भड़क गई थी। अगले दिन 25 फरवरी को मेरे घर में घुसकर आग लगा दी गई, जिसमें मेरी सब किताबें, घर के सारे कागजात, मेरी मां ने जो मेरे लिए जेवर बनवाए थे वो सब जला दिए गए, घर में जो नगदी रखी थी उसे लूट लिया गया था। उसके अगले दिन 26 फरवरी को मेरा पेपर था, वो रद्द हो गया। जो स्कूल में पढ़ा था, बस वही याद था।

'जिस वक्त दंगे हुए, मैं बहुत डर गई थी'

उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में नरगिस अकेली नहीं जो इस दंगों से प्रभावित हुई। शिव विहार में रहने वाली शिल्पी गोला भी परीक्षा में काफी डरी हुई थी। शिल्पी ने बताया कि घर में माता-पिता थे, जिसकी वजह से हिम्मत बनी रही। शिल्पी ने कक्षा 12वीं में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए। पूरी क्लास में शिल्पी के सबसे अधिक अंक हैं। शिल्पी ने आईएएनएस को बताया, मेरी तैयारी बहुत अच्छी थी, लेकिन जिस वक्त दंगे हुए, मैं बहुत डर गई थी। मेरे पापा मुझे शिव विहार की गलियों से मुझे खजूरी जहां मेरा सेंटर पड़ा था, वहां छोड़ने जाते थे और लेकर भी आते थे।

'आग की लपटें देखकर कांप गई थी रूह'

दिल्ली के खजूरी इलाके में किराये के मकान में रहने वाली जेनिया अंसारी ने 10वीं में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। जेनिया के पिता ने बताया, जिस घर में हम रहते थे, उस गली में आग लगा दी थी, मेरे घर का दरवाजा तोड़ दिया गया था। हम अपने परिवार को लेकर ओल्ड मुस्तफाबाद अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए थे। कुछ दिन वहां रुके, फिर मैं अपने एक दोस्त के यहां रुक वहीं से मेरी बेटी ने इम्तिहान दिए।

जेनिया अंसारी ने आईएएनएस को बताया, उस वक्त पढ़ाई के लिए माहौल बिल्कुल ठीक नहीं था। हम जिस घर में रहते हैं, वो मेन रोड पर था। हर तरफ खामोशी थी। घर से बाहर कोई नहीं निकल रहा था। मेरे घर के बगल में एक बाइक का शोरूम था, जिसमें आग लगा दी गई, उस वक्त मैं बहुत घबरा गई थी। उसने कहा, आग की लपटें देखकर हमारी रूह कांप गई थी, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी, हम अपने रिश्तेदार के चले गए थे। मेरा साइंस के पेपर था, मेरे पास किताबें नहीं थीं। जिस दिन थोड़ा सा रास्ता खुला था, मेरे पिताजी मेरी किताबें ले आए थे।

दंगाइयों ने मचाया था उत्‍पात

दरअसल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान दंगाइयों ने भारी उत्पात मचाया था। जाफराबाद, मौजपुर, शिव विहार, खजूरी, चांदबाग, मुस्तफाबाद और आस-पास के इन इलाकों में कई मकान जला दिए गए और दुकानें लूट ली गई थीं। हिंसा इतनी भयावह थी कि इन इलाकों में रह रहे लोग अपने घर छोड़कर भाग गए थे।

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