भले ही केरल के मलप्पुरम की देविका के जन्म से दोनों हाथ न रहे हों, लेकिन उसका जोश और जज्बा किसी भी सामान्य बच्चे से हमेशा दोगुना रहा है। जब से देविका ने होश संभाला उसे अपने काम खुद करने की ललक रहती थी। वहीं, पढ़ने का शौक उसे कभी यह महसूस नहीं होने दिया की उसके हाथ नहीं हैं। लिखने के लिए भी उसने एक काट उसने निकला लिया। उसने अपने पैरों से लिखना शुरू कर दिया। देविका ने दसवीं का एग्जाम पैरों से लिख कर पास किया और वह भी “ए ग्रेड” श्रेणी में। उसने दिखा दिया कि हौसला हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है।
देविका का जन्म बिना हाथों के साथ हुआ था। देविका के माता पिता कभी नहीं सोचे थे कि उनकी बेटी आत्मनिर्भर हो सकेगी और कभी वह पढ़-लिख भी सकेगी, लेकिन देविका ने अपने माता-पिता ही नहीं पूरी दुनिया को दिखा दिया कि उसके अंदर काबिलियत ही नहीं जोश और जज्बा भी खूब है। उसने इस साल 10 वीं कक्षा की परिक्षा सभी विषयों में ए+ स्कोर के साथ पास की है।
देविका ने अपने पैरों से सारी परीक्षाएं में लिखा हैं। देविका के पिता सजीव बातते हैं कि देविका हमेशा अपने काम जितना हो सके खुद करने के लिए आतुर रहती है। हमेशा कुछ नया करना उसे पसंद हैं। देविका के पिता मलप्पुरम के थेपीपलम पुलिस स्टेशन में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। देविका के इस जज्बे को देखते हुए केरल के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने भी सम्मानित किया है। लोकनाथ बेहरा ने कहा कि देविका की इच्छाशक्ति और मानसिक शक्ति है जो उसे सफल बनाती है।
देविका की माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी देविका एक औसत छात्र है। देविका की मां सुजीत ने देविका को उसके पैरों के बीच पेंसिल फंसा कर लिखना सिखाया और उसके बाद उसे वर्णमाला सिखा कर स्कूल में दाखिला दिलाया था। उसकी लगन को देख कर स्कूल के शिक्षकों ने भी उसकी खूब मदद की। देविका मलयालम, अंग्रेजी और हिंदी भाषा को लिख और पढ़ सकती है। उसने वल्लिकुनु में चंदन ब्रदर्स हायर सेकेंडरी स्कूल से 10 वीं की पढ़ाई पास की और अब उसने 11वीं कक्षा के लिए ह्यूमैनिटीज को चुना है। देविका बताती है कि उसे सोशल स्टडीज पसंद है और उसे गाने का भी शौक है।