बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली 25 वर्षीय शिवांगी भारतीय नौसेना में देश की पहली महिला पायलट बनने का मौका अपने नाम कर लिया है। शिवांगी भारतीय नौसेना के लिए डोर्नियर निगरानी विमान उड़ाएंगीं। जबकि शिवांगी सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक कर रही थीं और इसी फिल्ड में अपना करियर बनाने वाली थीं, लेकिन उनकी लाइफ में एक बड़ा चेंज आया और उन्होंने अपना इंजीनियर बनने का सपना वहीं छोड़ दिया और नौसेना में पायलट बनने निकल पड़ीं। मन बदलने के पीछे वह एक कहानी बताती हैं।
ऐसे चढ़ा नौसेना का रंग
शिवांगी ने मुजफ्फरपुर डीएवी स्कूल, बखरी से 12वीं पास करने के बाद सीधे सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बीटेक करने के लिए एडमिशन ले लिया था। इंजीनियरिंग उनका पसंदीदा सब्जेक्ट था लेकिन एक बार उनके कॉलेज में नौसेना की टीम स्टूडेंट्स को टेक्निकल स्टडीज से जुड़े अपने अनुभव साझा करने के लिए आई थीं। बात 2015 की है और तब शिवांगी नौसेना कैंडिडेट्स के अनुशासन और उनके ड्रेसअप को देखकर इतनी इंप्रेस हो गईं की उनका मन इंजीनिरिंग से हट कर नौसेना में पायलट बनने का हो गया।
2017 में एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) की परीक्षा पास कर ली
बीटेक करने के बाद कुछ महीने तक शिवांगी ने प्राइवेट बैंक में नौकरी भी की और साथ में नौसेना में भर्ती होने के लिए तैयारी भी करती रहीं। शिवांगी ने इसी बीच एमटेक की पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2017 में एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) की परीक्षा पास कर ली और उन्हें भारतीय नौसेना अकादमी में 27 एनओसी कोर्स के तहत एसएसी (पायलट) के तौर पर शामिल किया गया। 25 जून 2018 में वाइस एडमिरल एके चावला ने शिवागी को औपचारिक तौर पर नौसेना का हिस्सा बनाने का ऐलान किया और उनका प्रशिक्षण कोच्चि में शुरू हो गया और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह पहली नौसेना की महिला पायलट बन गईं।
बेहद साधारण घर से ताल्लुक रखती हैं शिवांगी
शिवांगी के पिता हरिभूषण सिंह उच्च विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं और उनकी मां घरेलू महिला हैं। शिवांगी अपने भाई-बहनों से सबसे बड़ी हैं। 15 मार्च 1995 को जन्मी शिवांगी बचपन से अनुशासन में रहना और लोगों को देखना पसंद करती थीं और जब वह नौसेना में भर्ती हुई तब उन्हें लगा कि यही उनकी सही मंजिल है। शिवांगी का कहना है कि उनके परिवार के सहयोग का ही नतीजा है कि वह आज इस जगह पहुंच चुकी हैं।