National Achievement Survey: केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय स्कूलों पर आज महा सर्वे करा रहा है। इसके तहत कक्षा 3, 5, 8 और 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले 38 लाख बच्चों के शामिल होने की संभावना है। जिसमें देश भर के 1.23 लाख स्कूल शामिल किए गए हैं। सर्वे का उद्देश्य कोविड-19 महामारी की वजह से शिक्षा में आए व्यवधान को समझना और उसके आधार पर आगे की योजना तैयार करना है।
बच्चों को क्या मिल सकती हैं सुविधाएं
शिक्षा मंत्रालय सर्वे के बाद कोविड-19 की वजह से हुए लर्निंग लॉस (शिक्षा प्राप्त करने में हुआ नुकसान) की भरपाई के लिए गाइडलाइन जारी कर सकता है। इसके तहत बच्चों के लिए कई अहम सुविधाएं शुरू हो सकती हैं। संसद की शिक्षा मामलों पर बनी स्थायी समिति ने इस संबंध मेंअगस्त 2021 में पेश अपनी रिपोर्ट में कई अहम सुझाव भी दिए हैं। इसके तहत बच्चों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए..
1. विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर ब्रिज कोर्स शुरू किया जाय।
2.विभिन्न विषयों पर लगातार बहुविकल्पीय सवालों के आधार पर टेस्ट लिया जाय।
3.अतिरिक्त कक्षाओं के साथ-साथ छुट्टियों में भी कटौती की जा सकती है।
4. प्रत्येक विषय के लिए हेल्प लाइन सेंटर खोले जाय।
5.चैट बोट एसेसमेंट भी किया जाय।
ऐसे में सर्वे पूरा होने के बाद शिक्षा विभागों इन प्रमुख सिफारिशों के आधार पर गाइडलाइन जारी कर सकता है। और लर्निंग लॉस की भरपाई के लिए पूरा प्लान लागू हो सकता है।
733 जिलों में सर्वे
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, स्कूलों पर किया जा रहे इस सर्वे में 733 जिलों के स्कूल शामिल हैं। जिसमें जिसमें देश के सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व है। सर्वे के तहत 1.23 लाख स्कूल के 38 लाख बच्चों के शामिल होने की उम्मीद है। इसके लिए 1,82,488 फील्ड इन्वेस्टिगेटर, 1,23,729 पर्यवेक्षक, 733 जिला स्तरीय कोऑर्डिनेटर और जिला नोडल अधिकारियों के अलावा प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश में 36 राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा1500 बोर्ड प्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं।
बच्चों से इन बातों को परखा जाएगा
सर्वे के तहत बच्चों से विभिन्न भाषा और विषयों के संबंध में जानकारी ली जाएगी। जैसे कक्षा 3 और 5 वीं के लिए भाषा, गणित और ईवीएस, कक्षा 8 के लिए भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान और कक्षा 10 के लिए भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी में किया जाएगा। इसके तहत 22 भाषाओं में परीक्षा भी आयोजित होगी। जिसमें असमी, बंगाली, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मिजो, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, गारो, खासी, कोंकणी, नेपाली, भूटिया और लेप्चा को शामिल किया गया है। इसके पहले आखिरी सर्वे साल 2017 में किया गया था।