IAS Success Stories: देश के सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक यूपीएससी की परीक्षा में आलोक सिंह ने 628वीं रैंक हासिल की है। ट्राइबल लोगों के साथ काम करने के दौरान उन्हें लगा कि वो आईएएस बनने के बाद इनकी मदद कर सकेंगे। ऐसे में उनके मन में यूपीएससी का ख्याल आया। बता दें कि उन्हें ये सफलता सफलता पहली बार में नहीं बल्कि तीसरी बार में हासिल हुई। इस परीक्षा में उन्हें ये सफलता साल 2018 में मिली है।
साल 2014 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आलोक उसी साल ही नौकरी करना शुरू कर दिया था। उस दौरान वो झारखंड के बोकारो में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में जूनियर मैनेजर के तौर पर कार्यरत थे। इसके बाद वो साल 2018 में ईपीएफओ में जुड़े। एक साल काम करने के दौरान ही उनका सेलेक्शन यूपीएससी में हो गया। आलोक के मुताबिक पहली जॉब के दौरान उन्हें वहां के ट्राइबल लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिला। उनसे बात करने के दौरान उन्हें लगा कि इन लोगों के लिए या फिर सोसाइटी के लिए कुछ करना चाहिए। तभी से मेरी यूपीएससी की जर्नी की शुरुआत हुई।
आलोक को ये सफलता पहली बार में नहीं बल्कि तीसरी बार में हासिल हुई। पहली बार उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा साल 2016 में दी थी। लेकिन उस वक्त आलोक प्रीलिम्स परीक्षा को पास नहीं कर पाए थे। दूसरे अटैम्प्ट में मेन्स क्लीयर नहीं कर पाए। जिसके बाद उन्हें तीसरी बार में ये सफलता हासिल हुई। आलोक अपनी जॉब के साथ-साथ पढ़ाई भी करते थे। आलोक के मुताबिक पहले जॉब में उन्हें 12 से 13 घंटे तक काम करना पड़ता, जिसकी वजह से पढ़ाई और जॉब को मैनेज करना काफी मुश्किल होता था।
आलोक के मुताबिक वो नौकरी छोड़कर सिर्फ पढ़ाई पर फोकस नहीं कर सकते थे। ऐसे में उन्होंने ईपीएफओ का एग्जाम दिया, जिसे यूपीएससी द्वारा ही आयोजित किया जाता है। इस जॉब के दौरान ही आलोक को यूपीएससी में सफलता हासिल हुई। आलोक ने बिना कोचिंग की मदद लिए सेल्फ स्टडी के जरिए ये सफलता हासिल की है। उनके मुताबिक प्रीलिम्स के दौरान उन्होंने 15 दिन की छुट्टी लेकर पढ़ाई की। जबकि मेन्स के दौरान उन्होंने दो महीने की छुट्टी ली थी।
आलोक के मुताबिक इस परीक्षा के लिए कुछ चीजें आपको खुद तय करनी होती है। जैसे खुद से सोर्स तैयार करना और खास स्ट्रेटजी बनना आदि। उन्होंने बताया कि मेरे पास इतना वक्त नहीं था, ऐसे में मैं खास दोस्त के साथ मिलकर पढ़ाई करता और किसी भी टॉपिक के लिए सोर्स खुद तय करता था।