राजस्थान के रहने वाले देव चौधरी ने यूपीएससी की परीक्षा को चुनौती की तरह से लिया था। हर असफलता के बाद वह और उत्साह के साथ परीक्षा में शामिल होते रहे। तीन असफलताओं को स्वीकार करते हुए उन्होंने चौथी परीक्षा को पास कर दिखा दिया कि असफलता निराशा की वजह नहीं होती बल्कि कई बार ये आपके अंदर और जज्बा भरती है और चुनौती को स्वीकार करना सिखाती है। देव के लिए ये परीक्षा केवल असफलता के कारण चुनौती नहीं थी बल्कि इनकी सबसे बड़ी चुनौती थी स्टडी मेटेरियल का अभाव। बावजूद इसके उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से साबित कर दिया कि हार नई सफलता की कहानी लिखती है।
हिंदी मीडियम से पढ़ना बन रही थी चुनौती तो सीखी इंग्लिश
तीन बार की असफलता के दंश उन्होंने चुनौती की तरह स्वीकार किया था, लेकिन उनके सामने जो सबसे बड़ी समस्या थी वह उनका हिंदी मीडियम से पढ़ना था। ऐसा इसलिए कि हिंदी में उन्हें स्टडी मेटेरियल नहीं मिल पा रहा था। ज्यादातर स्टडी मेटेरियल इंग्लिश में थे और इंग्लिश में उन्हें समझना उनके लिए चुनौती साबित हो रही थी। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह हार नहीं मानेंगे और उन्होंने इसके लिए इंग्लिश सीखनी शुरू कर दी।
गांव से हुई थी प्रारंभिक शिक्षा
राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान के पिछड़े जिले बाड़मेर के एक गांव रहने वाले देव चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव से ली थी। देव के पिताजी टीचर थे। घर में शिक्षा का माहौल था इसलिए अपने आगे की पढ़ाई के लिए वह गांव से शहर आ गए और आगे की स्कूली शिक्षा उन्होंने शहर से ही पूरी की। हालांकि 11वीं और 12वीं उन्होंने फिर से सरकारी स्कूल से की और स्कूल के बाद बाड़मेर कॉलेज से ही बी.एस-सी. किया। देव का सिविल सर्विस का सपना बचपन का था इसलिए इसकी तैयारी उन्होंने स्नातक पूर्ण होने के साथ ही शुरू कर दी। उन्होंने 2012 में पहली बार यूपीएससी का एग्जाम दिया और प्रीलिम्स पास कर लिया, लेकिन मेंस में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी।
चौथे प्रयास में मिली सफलता
पहली परीक्षा में असफलता की वजह को उन्होंने जाना और अगली बार उन गलतियों को सुधार कर फिर से 2013 में परीक्षा दी और इस बार उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस दोनों पास कर लिया, लेकिन अंतिम चरण में वह फिर से असफल हो गए। इस असफलता ने उन्हें और मजबूत बनाया और वह 2014 में फिर से परीक्षा दी, लेकिन इस बार भी वह अंतिम चरण में ही असफल रहे। उनका सपना फिर भी न टूटा और उन्होंने 2015 में चौथे प्रयास में आईएएस बनने का सपना साकार कर लिया। देव चौधरी गुजरात कैडर में 2016 बैच के IAS अधिकारी हैं।
निराशा को हावी नहीं होने दिया
ऐसा नहीं था कि तीन असफलताओं ने देव को निराश नहीं किया, लेकिन इन्होंने इस निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया। हर असफलता के बाद वह अपनी कमियों का मूल्यांकन कर नए जोश के साथ परीक्षा में शामिल होते थे और यही उनकी सफलता का मूल मंत्र था।