IAS Success Story: नक्सली चुनौतियों को पार कर Dantewada की Namrata Jain बनीं IAS, मौत के खौफ के बीच भरी उड़ान

Namrata Jain IAS Success Story: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा की रहने वाली नम्रता जैन ने कई मुश्किलों को पार कर पढ़ाई पूरी की थी। यूपीएससी एग्जाम 2018 में उन्होंंने 12वीं रैंक हासिल की।

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आईएएस नम्रता जैन की कहानी 
मुख्य बातें
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा की रहने वाली हैं नम्रता जैन। 
  • परिवार वालों ने पढ़ाई के लिए बाहर जाने पर लगा दी थी पाबंदी।‌
  • मां की मदद से नम्रता जैन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और सफलता पाई।

IAS Namrata Jain Success Story: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा (Dantewada) की रहने वाली नम्रता जैन (Namrata Jain) ने गरीबी और असुविधाओं को पार करके सफलता हासिल की है। बेहद छोटी उम्र से नम्रता जैन ने कुछ ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है जिससे किसी भी इंसान की हिम्मत टूट जाएगी। मगर, नम्रता जैन ने इन मुसीबतों को मात दिया और आईएएस ऑफिसर बनीं। वह जिस जिले से नाता रखती हैं वह भारत के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है। ऐसे में आए दिन विस्फोट, हत्या और कई वारदातों के बीच उनके लिए अपनी पढ़ाई जारी रख पाना मुश्किल था। इतनी संवेदनशील जगह से नाता रखने वाली नम्रता जैन ने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी और आईपीएस के बाद वह आईएएस बन गईं। 

नक्सली वारदातों के बीच पली-बढ़ी नम्रता जैन 

नम्रता जैन ने एक बार यह साझा किया था कि जिस कस्बे से वह आती हैं, वहां एक बार पुलिस स्टेशन में विस्फोट हुआ था। इस वारदात के पीछे नक्सलियों का हाथ था। इस दहशत भरे माहौल में नम्रता ने यह निर्णय लिया था कि वह अपने गांव में 1 दिन विकास जरूर लाएंगी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ती करेंगी। 

पढ़ाई पर लगी थी पाबंदी, मगर मां से मिली प्रेरणा

नम्रता जैन की प्रारंभिक शिक्षा निर्मल निकेतन स्कूल से हुई थी। मगर, उनके लिए अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी कर पाना बेहद मुश्किल था। जब उन्होंने दसवीं कक्षा पास कर ली थी तब उनके घर वालों ने पढ़ाई के लिए बाहर जाने पर पाबंदी लगा दिया था। लेकिन, नम्रता की मां ने बहादुरी दिखाते हुए और घरवालों के विपरीत जाते हुए नम्रता की पढ़ाई पर जोर दिया। 5 साल भिलाई और 3 साल दिल्ली में रहकर नम्रता ने अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी की थी। 

अपनों के मौत से टूट गई थीं नम्रता 

नम्रता के जीवन में एक ऐसा दौर आया था जब वह पूरी तरह से टूट गई थीं। अपनों को खोने के बाद नम्रता बेहद हताश हो गई थीं। दरअसल, यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के दौरान उन्होंने अपने दो चाचा को 6 महीने के अंदर खो दिया था। उनके चाचा नम्रता को आईएस ऑफिसर बनता देखना चाहते थे। मगर ऐसा ना हो सका। जिसके बाद नम्रता ने उनका सपना पूरा करने के लिए अपना खून पसीना एक कर दिया था।

ऐसी थी नम्रता की तैयारी

2015 में पहली बार नम्रता ने यूपीएससी का एग्जाम दिया था। मगर, उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई थी। 2016 में उन्होंने वापस एग्जाम दिया था और इस परीक्षा में उन्हें 99 रैंक हासिल हुई लेकिन इस बार वह आईएएस नहीं मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस बनी थीं। उन्होंने बचपन से आईएएस बनने का सपना देखा था। इसीलिए वह हमेशा आईएएस बनने की तैयारी जारी रखती थीं। जब वह हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकैडमी में ट्रेनिंग करती थीं, तब ट्रेनिंग के साथ वह यूपीएससी की तैयारी भी करती थीं। 2018 में नम्रता ने वापस यूपीएससी का एग्जाम दिया था और इस बार उन्हें ऑल इंडिया में 12 रैंक मिली। वह फिलहाल महासमुंद में पोस्टेड हैं और एसडीएम की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। 

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