भारत में 83 हजार सीट पर 16 लाख बच्चे, ऐसा है MBBS में एडमिशन का प्रेशर, छुपा है नवीन के पिता का दर्द

एजुकेशन
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Mar 02, 2022 | 21:11 IST

Indian Students In Ukraine: यूक्रेन में युद्ध का शिकार हुए नवीन शेखरप्पा के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कहा है कि मेरे बेटे के पीयूसी में 97 फीसदी नंबर थे, बावजूद इसके वह राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं कर सका।

Navven Shekhrappa Father
नवीन शेखरप्पा के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर   |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • भारत में फिलहाल एमबीबीएस की करीब 83 हजार सीटे हैं। और एडमिशन के लिए करीब 16 लाख बच्चों ने रजिट्रेशन कराया था।
  • भारत में करीब 38,800  सीटें प्राइवेट कॉलेज में हैं। जहां पर पढ़ाई यूक्रेन और रूस जैसे देशों की तुलना में काफी महंगी है।
  • विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति 1000 की आबादी पर डॉक्टर की संख्या बेहद कम है।

Indian Students In Ukraine: यूक्रेन के खारकीव में MBBS की पढ़ाई करने गए नवीन शेखरप्पा को गंवा चुके पिता का दर्द सामने आया है। 21 वर्षीय नवीन के पिता  शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कहा है कि मेरे बेटे के पीयूसी में 97 फीसदी नंबर थे, बावजूद इसके वह राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं कर सका। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के मेधावी बच्चों को बाहर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है क्योंकि देश में उन्हें मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं। नवीन के पिता का यह बयान उनके दर्द के साथ उस प्रेशर को भी बयां करता है। जिसकी वजह से उन जैसे लोगों को अपने बच्चों को कम फीस की वजह से विदेश भेजना पड़ता है।

भारत में एडमिशन पाना बेहद कठिन

असल में भारत में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन पाना कितना कठिन है, इसे देश में मौजूद एमबीबीएस की सीटों की संख्या से समझा जा सकता है। भारत में फिलहाल एमबीबीएस की करीब 83 हजार सीटे हैं। और इसके लिए 2021 की नीट परीक्षा (NEET Exam) में करीब 16 लाख बच्चों ने रजिट्रेशन कराया था। यानी हर एक सीट के लिए 19 बच्चे एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे थे।

जबकि यूक्रेन और रूस जैसे देशों में एडमिशन मिलना कहीं ज्यादा आसान है। मसलन वहां पर नीट में पास होने के बाद एडमिशन मिल जाता है। जबकि भारत में नीट में पास होने के बाद एडमिशन की गारंटी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कम सीट होने के कारण कट ऑफ मार्क्स काफी ज्यादा रहता है।

फीस का भी अंतर

असल में भारत में कुल 83 हजार सीटों में से करीब 38,800  सीटें प्राइवेट कॉलेज में हैं। जहां पर केवल फीस पर कम से कम  60-70 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। जबकि सरकारी कॉलेज में 42,700 के करीब सीटें में हैं। जहां पर पढ़ाई का खर्त 8-10 लाख रूपये आता है। लेकिन वहां प्रतिस्पर्धा डबल हो जाती है। जबकि यूक्रेन और रूस में 20-25 लाख रुपये का खर्च आता है। भारत में कुल 549 मेडिकल कॉलेज है।

भारत में डॉक्टर की संख्या कम

अगर विकसित देशों से तुलना में की जाय तो भारत में प्रति 1000 की आबादी पर डॉक्टर की संख्या बेहद कम है। विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति 1000 आबादी में 0.928 फिजिशियन हैं। जबकि फ्रांस में 6.5 , ब्रिटेन में 5.8 , यूएसए में 2.6 फिजिशियन हैं। साफ है कि भारत को ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है, जिससे 130 करोड़ आबादी वाली देश की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा किया जा सके।

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