Exclusive: खानपान और जीवनशैली में परिवर्तन के कारण आजकल हर दूसरा व्यक्ति एज इलनेस की समस्या से परेशान हैं। 30 साल की उम्र में लोग 70 साल के उम्र की बीमारियों से पीड़ित हैं। यही वजह है कि मृत्यु दर में तेजी से इजाफा और जीवन दर में कमी आ रही है। जीवन के सबसे मूल्यवान और सबसे सक्रिय अवस्था से गुजर रहे युवा भी अब ट्यूमर या कैंसर जैसी भयावह बीमारियों से अछूते नहीं हैं। साथ ही उम्र के बढ़ने के साथ लोग एक के बाद भयावह बीमारियों से जूझते रहते हैं।
ऐसे में क्या हम 70 साल की उम्र में 20 साल के युवा की तरह खुद को फिट रख सकते है, क्या हम अपने जीवन दर को बढ़ा सकते हैं? हाल ही में दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र और शोध अनुसंधान में इटर्न के रूप में कार्यरत लक्ष्य शर्मा ने टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बातचीत के दौरान इन सभी सवालों का जवाब दिया। जिस काम को करने में उम्र बीत जाती है, उस काम को लक्ष्य ने महज 17 साल की उम्र में कर दिखाया है। लक्ष्य ने बताया कि हमारे शरीर में मौजूद सेनसेंट कोशिकाएं बुढ़ापे के लिए जिम्मेदार होती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में इनकी संख्या बढ़ती जाती है और यह गंभीर बीमारियों को दावत देती हैं।
बता दें गुरुग्राम के सेक्टर 45 में रहने वाल अलीगढ़ के मूल निवासी 17 वर्षीय लक्ष्य एक ऐसी दवा की खोज कर रहे हैं जो आपको बूढ़ा नहीं होने देगी। 70 साल की उम्र में भी आप 20 साल के युवा की तरह खुद को फिट रख सकेंगे। इससे आप ज्यादा दिनों तक जीवित रहेंगे ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि इतनी छोटी उम्र का लड़का इस रिसर्च की तरफ कैसे आकर्षित हुआ और बढ़ती उम्र के साथ गंभीर बीमारियों के संक्रमण से खुद को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। तथा किस प्रकार मृत्यु दर को कम कर उम्र को बढ़ाया जा सकता है।
सनसेंट कोशिकाएं देती हैं गंभीर बीमारियों को दावत
लक्ष्य ने बताया कि एक 55 से 60 वर्ष के व्यक्ति में सनसेंट कोशिकाओं की संख्या 20 वर्ष के व्यक्ति की तुलना में अधिक होती है। सनसेंट कोशिकाएं ही बुढ़ापे के लिए जिम्मेदार होती हैं। शरीर में इन कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होते ही व्यक्ति कैंसर, ट्यूमर और दिल संबंधी बीमारियों के साथ कई अन्य गंभीर बीमारियों से संक्रमित हो जाता है। साथ ही इससे सुनने और देखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इतना ही नहीं इससे हमारी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और यह ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन आदि सैकड़ों बीमारियों को दावत देता है।
लक्ष्य ने बताया कि यदि कुछ चिकित्सकीय उपाय कर इन कोशिकाओं को शरीर से निकाल दिया जाए तो हम 70 साल की उम्र में भी सेहतमंद रह सकते हैं और इससे व्यक्ति लंबे समय तक जीवित रह सकता है। साथ ही गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसके लिए हमें कुछ सेनोलेटिक दवाओं पर शोध करने की आवश्यकता है। इसके जरिए सेनसेंट कोशिकाओं को शरीर में खत्म किया जा सकता है।
चूहों पर हो रहा है ये शोध
बक इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग और मेयो क्लीनिक जैसे अमेरिकी संस्थान भी लगातार इस पर शोध कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने चूहों पर इसका शोध शुरू किया है, इसके लिए शोधकर्ताओं ने दो अलग अलग चूहों को लिया, पहले चूहे में सेनसेंट कोशिकाएं हैं और दूसरे चूहे में इन कोशिकाओं को निकाल दिया गया। शोध में पाया गया कि जिस चूहे में सेनसेंट कोशिकाएं थी वह कुछ दिनों बाद सरकोपेनिया, सबक्यूटेनियस, फैट लॉस, आस्टियोआर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित पाया गया, जबकि बिना सेनसेंट वाला चूहा उसके मुकाबले 25 से 35 प्रतिशत अधिक समय तक जीवित रहा।
माता पिता की ममता ने शोध के लिए किया प्रेरित
एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक योग्यता से भरपूर लक्ष्य ने बताया कि उनकी दादी की कैंसर से मौत हो गई थी। ऐसे में मैं अब अपने माता पिता को किसी भी बीमारी या उनके बुढ़ापे के कारण खोना नहीं चाहता, जिंदा रहने तक मैं अपने माता पिता की मौजूदगी चाहता हूं। इसलिए मैंने इस विषय में शोध करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि इससे करोड़ों लोग बुढ़ापे में बीमारियों से मुक्त रह सकेंगे।
समय का अभाव होने पर खुद को कैसे रखें फिट
बातचीत के दौरान लक्ष्य से पूछा गया कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान समय का अभाव होने पर व्यक्ति खुद को कैसे फिट रख सकता है। लक्ष्य ने बताया कि इसके लिए आप अपने दिनचर्या में योग और डाइट का एक प्लान तैयार करें। साथ ही हर एक से दो घंटे में इसे फॉलो करें। इस तरह आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
डीआरडीओ द्वारा शोध के लिए दी गई है मान्यता
बता दें 17 वर्षीय लक्ष्य ने अपनी पढ़ाई के साथ आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, आईआईएसयू बैंगलोर जैसे विभिन्न अनुसंधान संस्थानों में प्रोफेसरों के साथ कुछ महीनों के लिए एक अकादमिक शोधकर्ता यानी रिसर्च इंटर्न के रूप में काम किया है। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कैंसर के बारे में स्टडी करने के लिए सबसे पहले आईआईटी बॉम्बे के प्रोटियोमिक्स लेबोरेटरी में संपर्क साधा था। इतना ही नहीं लक्ष्य के शोध प्रयासों को देखते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा उन्हें प्रोत्साहित भी किया गया है।
साथ ही सेनोलिटिक दवाओं पर शोध के लिए उन्हें डीआरडीओ के निदेशक द्वारा मान्यता दी गई है। वहीं बातचीत के दौरान लक्ष्य ने बताया कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी उनके कार्य की काफी सराहना की है और जल्द वह उनसे मुलाकात करने वाले हैं।
(ये इंटरव्यू आदित्य सिंह ने लिया है जो टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के साथ बतौर इंटर्न के तौर पर जुड़े हैं।)