लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय : भारत की धरती पर अनेक ऐसे महापुरुषों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने आचरण, कर्तव्य और परिश्रम से ना केवल भारत का मान बढ़ाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मिसाल पेश की है। ऐसे ही महापुरुष थे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया। शास्त्री जी ने देश की संप्रभुता और सुरक्षा से कभी कोई समझौता नहीं किया। उनका यह व्यक्तित्व 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी देखने को मिला, जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया। इस दौरान शास्त्री जी ने भारतीय सेना को जवाब देने के लिए खुली छूट दे दी थी और हमेशा की तरह भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह परास्त कर दिया था।
2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर मुगलसराय में जन्में लाल बहादुर शास्त्री गांधी जी से बेहद प्रभावित थे। गांधी जी के साथ उन्होंने असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। उनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद था, जो पेशे से एक शिक्षक थे व माता का नाम राम दुलारी था।
विषम परिस्थितियों में हासिल की शिक्षा
बचपन में ही शास्त्री जी के पिता का देहांत हो गया था, पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां बच्चों को लेकर अपने पिता के घर मिर्जापुर चली आई थी। शास्त्री जी का पालन पोषण मिर्जापुर में ही हुआ। यहीं पर उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। कहा जाता है कि शास्त्री जी ने काफी विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल किया था। वह नदी में तैरकर रोजाना स्कूल जाया करते थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में थे सक्रिय
लाल बहादुर शास्त्री 1920 में महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
जय जवान जय किसान का दिया था नारा
साल 1964 में लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। इस दौरान अन्न संकट के कारण देश भुखमरी की स्थिति से गुजर रहा था। वहीं 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में शास्त्री जी ने देशवासियों को सेना और जवानों का महत्व बताने के लिए ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। इस संकट के काल में शास्त्री जी ने अपनी तनख्वाह लेना भी बंद कर दिया था और देश के लोगों से अपील किया था कि वह हफ्ते में एक दिन व्रत रखें।