Career In Translation: भारत का आज जिस तरह से ग्लोबाइजेशन हो रहा है, उससे युवाओं के लिए करियर के नए-नए रास्ते खुल रहे हैं। आज हजारों-लाखों युवा दूसरे देशों में काम कर रह हैं, वहीं इसी संख्या में दूसरे देशों के लोग भी हमारे देश में पहुंच रहे हैं। एक से दूसरे देश में आने-जाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है विदेशी भाषाओं की जानकारी। भाषा की जानकारी से जहां दूसरे देशों में अच्छी जॉब हासिल की जा सकती है, वहीं देश के अंदर रहकर एक ट्रांसलेटर के तौर पर शानदार करियर भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि आज युवा अंग्रेजी के अलावा जर्मन, फ्रैंच, कोरियन, स्पेनिश, चायनीज, जैपनीज जैसे विदेशी भाषाओं में अपनी नॉलेज बढ़ा रहे हैं। भाषा की तरफ युवाओं के बढ़ते झुकाव को देखते हुए पिछले कुछ सालों में फॉरेन लैंग्वेज कोर्सेस करवाने वाले संस्थानों में भी वृद्धि हुई है। इन इंस्टीट्यूट से छात्र किसी भी फॉरेन लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या फिर डिग्री कोर्सेस कर ट्रांसलेटर के तौर पर करियर बना सकते हैं।
एजुकेशन व कोर्स
ट्रांसलेटर बनने के लिए डिग्री से ज्यादा भाषा की जानकारी की जरूरत पड़ती है। छात्र किसी भी स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद फॉरेन लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री कोर्सेस कर सकते हैं। यह सभी कोर्स ग्रेजुएशन लेवल के हैं। वहीं ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद भी फॉरेन लैंग्वेज में डिप्लोमा, डिग्री और एडवांस डिप्लोमा कोर्सेस उपलब्ध हैं। लैंग्वेज में पीएचडी भी की जा सकती है।
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ट्रांसलेटर के लिए जरूरी स्किल
ट्रांसलेटर के तौर पर करियर बनाने के लिए भाषा की जानकारी के साथ कई तरह के स्किल की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे लोगों में गुड सेंस ऑफ ह्यूमर का होना जरूरी है। इससे वे अपनी बात से लोगों को इंटरटेन कर सकें। इसके अलावा अच्छा कम्यूनिकेशन स्किल्स का होना भी बहुत जरुरी है। वहीं ऐसे लोगों की क्रिएटिविटी व टीमवर्क उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।
यहां बना सकते हैं करियर-
फुल टाइम और फ्रीलांस जॉब्स
ट्रांसलेशन क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फुल और पार्ट टाइम जॉब के तौर पर घर बैठे भी जॉब कर सकते हैं। आज के समय में बहुत सारी ऐसी कंपनियां हैं जो ट्रांसलेटर को घर बैठे प्रोजेक्ट देती हैं। इसके लिए प्रोजेक्ट व शब्द के हिसाब से अच्छे पैसे भी मिलते हैं।
पयर्टन में इंटरप्रेटर के रूप में कार्य
विदेशी भाषाओं की जानकारी रखने वाले लोगों के लिए एक इंटरप्रेटर बनना भी काफी बेहतर विकल्प है। यह ट्रांसलेशन का ही एक रूप है, इसमें ट्रांसलेशन की तरह लिखित कार्य न करके मौखिक रूप से बोलना पड़ता है। इंटप्रेटर का सबसे ज्यादा काम पर्यटन के क्षेत्र में आता है। ये दूसरे देश से आए पर्यटकों को उनकी भाषा में ही अपने देश से जुड़ी अहम चीजों के बारे में बताते हैं।
विदेशी कंपनियों में
भारत एक तरह से बिजनेस का हब बनता जा रहा है। यहां पर सैकड़ों विदेशी कंपनियां काम कर रही हैं। इन जगहों पर बिजनेस के बारे में बात करने के लिए और अपनी बिजनेस स्ट्रेटजी समझाने के लिए ट्रांसलेटर्स की जरूरत पड़ती है।
दूतावास व वैश्विक संगठनों में
ट्रांसलेटर्स की डिमांड वैश्विक संगठनों में भी बनी रहती है। विभिन्न देशों के दूतावास, संयुक्त राष्ट्र संगठन, विश्व व्यापार संगठन के अलावा यहां काम करने वाली विभन्न एनजीओ में ऐसे लोगों की जरूरत रहती है जो लोकल भाषा के साथ उनकी भाषा को भी बोल सकते हों।