NEET UG Counselling 2021: पिछले एक महीने से NEET UG की काउंसलिंग के जरिए MBBS और BDS में एडमिशन लेने की उम्मीद कर रहे छात्र-छात्राओं को अभी और धैर्य रखना होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में नई आरक्षण नीति पर 6 जनवरी 2022 को सुनवाई होनी है। ऐसे में मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध मामले का हवाला दिया है। ऐसे में यही अनुमान है कि काउंसलिग की प्रक्रिया अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो सकती है।
जानें क्या है मामला
जुलाई में केंद्र सरकार ने राज्यों के मेडिकल/डेंटल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी और EWS को आरक्षण देने का फैसला किया था। इसके तहत ऑल इंडिया कोटे के तहत ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी और EWS वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया गया था।
इसके पहले 2007 में ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेज में ओबीसी आरक्षण मिलता था, लेकिन राज्य के मेडिकल कॉलेज में यह व्यवस्था नहीं थी। लेकिन जुलाई 2021 के फैसले के बाद सरकार ने राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेज में ऑल इंडिया कोटे में आरक्षण लागू कर दिया।
कोर्ट में चुनौती
सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में कई डॉक्टरों और दूसरे लोगों ने चुनौती दी। उनका कहना था कि ओबीसी के लिए 27 फीसदी और EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण को बिना किसी उचित आधार पर लागू किया जा रहा है। याचिका में गरीबी के निर्धारण के लिए 8 लाख रुपए सालाना आमदनी की सीमा का भी विरोध जताया है ।उनका कहना है कि बिना किसी सोच-विचार के सरकार ने EWS श्रेणी के लिए सीमा तय कर दी जो कि OBC के लिए क्रीमी लेयर की सीमा है।
क्या है एडमिशन का नियम
केंद्र सरकार की आरक्षण प्रावधानों के अनुसार नीट काउंसलिंग में अनुसूचित जाति को 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 7.5 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलना है। जबकि आर्थिक पिछड़ा वर्ग (EWS) को 10 फीसदी और दिव्यांगों को पांच फीसदी आरक्षण मिलेगा। इसके तहत राज्यों में मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेज में 15 फीसदी सीटों पर ये आरक्षण नियम लागू होते हैं। जबकि बाकी 85 फीसदी सीटों पर राज्यों द्वारा तय आरक्षण के प्रावधान लागू होते हैं।