नई दिल्ली: भारत में अगर किसी नौकरी को सबसे प्रतिष्ठित और सबसे उच्च दर्जे का माना जाता है तो वह IAS की नौकरी ही है। आईएएस बनने के लिए बहुत मेहनत और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है। आईएएस की परीक्षा को दुनिया की कुछ सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि कितने आईएएस अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने जीवन में सफल बिजनेसमैन बनने के लिए इस शानदार नौकरी को छोड़ दिया। आज हम आपको ऐसे ही 7 आईएएस अधिकारियों के नाम बताएंगे जो IAS की नौकरी छोड़ने के बाद एक सफल बिजनेसमैन हैं।
डॉ सैयद सबाहत अजीम
डॉ सैयद सबाहत अजीम आज एक डॉक्टर हैं लेकिन पूर्व में 2000 बैच के आईएएस अधिकारी भी रहे हैं। इन्होंने सस्ते हेल्थ केयर श्रृंखला 'ग्लोकल हेल्थ केयर सिस्टम' को लॉन्च करने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। डॉ सैयद के नौकरी छोड़ने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। अपने एक इंटरव्यू में डॉ सैयद ने बताया था कि मेरे पिता की मृत्यु सही से इलाज ना मिल पाने के कारण हुई थी। मुझे लगा अगर मैं आईएएस होकर अपने पिता को नहीं बचा सका तो उन आम लोगों का क्या होता होगा? उन्हें कैसे इलाज मिलता होगा? इसी एक सवाल ने उन्हें अपनी नौकरी छोड़कर मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का संकल्प दिया। उन्होंने इस विषय पर काम करना शुरू किया और सेबी के पूर्व अध्यक्ष श्री एम दामोदरन जोकि ग्लोकल के अध्यक्ष भी हैं उनसे संपर्क साध कर उनके साथ काम करने की इच्छा जताई। ग्लोकल एक संस्था है जो छोटे शहरों में अपने अस्पतालों की एक श्रृंखला चलाता है जिसमें वह बहुत कम कीमत पर लोगों को इलाज मुहैया कराता है। डॉक्टर अजीम कहते हैं एक ग्लोकल अस्पताल तकरीबन 15 करोड़ में बन जाता है जिसमें तकरीबन 100 बेड की सुविधा होती है।
राजन सिंह
आईआईटी कानपुर से पासआउट राजन सिंह एक आईपीएस ऑफिसर थे जिन्होंने 3 साल तक तिरुअनंतपुरम के पुलिस आयुक्त के रूप में कार्य किया है। हालांकि, अपने 8 साल के आईपीएस की नौकरी के बाद उन्होंने अलग राह चुन ली और कारपोरेट जगत से जुड़ गए। कुछ वक्त तक उन्होंने कॉरपोरेट के बड़े नामों के साथ काम भी किया। लेकिन साल 2016 में उन्होंने छात्रों को प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए एक ऑनलाइन शैक्षणिक माध्यम ConceptOwl शुरू कर दिया। राजन सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं अपने जीवन में बहुत से बिजनेसमैन से मिला मैंने सब में केवल एक ही चीज कॉमन देखी वह यह थी कि वह लोग जोखिम लेना जानते थे। मुझे अपने जीवन में इसका मौका नहीं मिला, हालांकि इसका मुझे कोई अफसोस नहीं था। लेकिन फिर मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक बिजनेसमैन बनने के लिए चल पड़ा।
प्रवेश शर्मा
प्रवेश शर्मा 1982 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। प्रवेश शर्मा ने अपने 34 साल के करियर के बाद 2016 में अपनी इच्छा से रिटायरमेंट ले ली। इस्तीफा देने के बाद, उन्होंने 'सब्जीवाला' नाम से एक स्टार्टअप स्थापित किया जो खुदरा फल और सब्जी वालों को एक श्रृंखला में जोड़ता है। 'सब्जीवाला' एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां किसान से सीधा फल और सब्जी लेकर कस्टमर के पास तक सीधा पहुंचाया जाता है। मार्च 2018 से, उन्होंने तीन पार्टनर के साथ 'कामतन' जैसी संस्था बनाई जो किसानों के लिए अच्छे बीज और खाद्य सुरक्षा मुहैया कराता है। यह संस्था किसानों को खेत से सीधा बाजार तक जोड़ने का काम करती है।
रोमन सैनी
रोमन सैनी ने अपने पहले प्रयास में ही UPSC की परीक्षा 2014 में क्लियर कर लिया था। फिर वह मध्यप्रदेश में कलेक्टर के रूप में नियुक्त हुए। रोमन ने 16 साल की उम्र में ही AIIMS की प्रवेश परीक्षा को पास कर लिया था। मात्र 18 साल की उम्र में ही उन्होंने प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल में एक शोधपत्र प्रकाशित भी किया था। यही नहीं, MBBS की डिग्री पूरा करने के बाद उन्होंने मनोचिकित्सा के क्षेत्र में NDDTC के लिए जूनियर रेजिडेंट के रूप में भी काम किया था लेकिन बाद में उन्होंने से इस्तीफा दे दिया। रोमन सैनी ने अपने आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर Unacademy नामक एक वेबसाइट शुरू की जो आईएएस उम्मीदवारों के लिए मुफ्त में ऑनलाइन कोचिंग, वेबिनार, ट्यूटोरियल और मोटिवेशनल स्पीच प्रदान करती है। रोमन का मानना है कि कोई जन्मजात प्रतिभावान नहीं होता। प्रतिभा और ज्ञान सीखने से ही मिलता है।
विवेक कुलकर्णी
1979 बैच के आईएएस अधिकारी जिन्होंने 22 वर्षों के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कर्नाटक सरकार के आईटी और बायोटेक्नोलॉजी सेक्रेटरी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने, नागरिक सेवाओं से निजी क्षेत्र में काफी सफल बदलाव किए हैं। 2005 में, ब्रिकवर्ड इंडिया की स्थापना की, एक नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग फर्म है जो तमाम ग्लोबल कंपनियों को वर्चुअल असिस्टेंस प्रदान करती है। इस कंपनी की सह-संस्थापक उनकी पत्नी हैं। इनकी कंपनी का दावा है कि यह 116 देशों में अपना काम करते हैं। 2007 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसे भारत के पांचवें मान्यता प्राप्त क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के रूप में शामिल किया गया था।
जीवी राव
52 वर्षीय जीवी राव एक रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं, जिन्होंने सीएसई एस्पिरेंट्स को कोच करने के लिए विजयवाड़ा स्थित लर्निंग स्पेस एजुकेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एलएसईएस) की स्थापना की। जहां प्रत्येक कोचिंग संस्थान इसके लिए 50 हजार से 2 लाख लेते हैं, वहीं राव प्रत्येक छात्र से केवल ₹7999 का ही शुल्क लेते हैं। जीवी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि जिस वक्त में परीक्षा की तैयारी कर रहा था उस वक्त इसका व्यवसायीकरण इतनी ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचा था कि गरीब तबके के लोग पैसे की वजह से शिक्षा से वंचित रह जाएं। लेकिन अब शिक्षा का पूरी तरह से व्यावसायीकरण हो गया है। मैं इन्हीं खामियों को दूर करना चाहता हूं। इसलिए, उन्होंने 2014 में स्वैच्छिक रूप से रिटायरमेंट ले ली और 2017 में एक ऑनलाइन पोर्टल और ऐप तैयार किया जो उम्मीदवारों को कंपटीशन के लिए कॉन्टेंट देती है।
संजय गुप्ता
संजय गुप्ता 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने 22 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। हालांकि, 2002 में स्वैच्छिक रूप से रिटायरमेंट लेने के बाद उन्होंने अडानी समूह में सीईओ (इन्फ्रास्ट्रक्चर) के रूप में अपनी सेवाएं दी। कुछ वक्त यहां देने के बाद उन्होंने अपनी एक लग्जरी होटल कैम्बे की श्रृंखला का शुभारंभ कर दिया। संजय गुप्ता की इस वक्त दर्जनों कंपनियां बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। 2011 में गुप्ता ने कई बिजनेसमैन और दावेदारों को आश्चर्यचकित कर दिया जब उन्हें गुजरात के पहले मेट्रो रेल उद्म के निर्माण के लिए चुना गया। जिसे (एमईजीए) गांधीनगर अहमदाबाद के लिए मेट्रो लिंक एक्सप्रेस कहा गया। उन्हें इस प्रोजेक्ट का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था।