Indian Students in Ukraine: देवरिया के बिजनेसमैन नरेंद्र कुमार अपने बेटे को रूस में पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंचने वाले थे। जिससे कि वीजा की कार्रवाई पूरी कर बच्चे को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए रूस भेज सके। लेकिन रूस और यूक्रेन में छिड़े युद्ध ने फिलहाल उनके प्लान को ब्रेक लगा दिया है। रूस और यूक्रेन ऐसे देश हैं जहां पर हर साल भारत के हजारों बच्चे इंजीनियिरिंग, मेडिकल की पढ़ाने के लिए जाते हैं। भारतीय दूतावास के अनुसार अकेले यूक्रेन में करीब 18 हजार भारतीय छात्र हैं, जो वहां पर पढ़ाई करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में 80 हजार से ज्यादा एमबीबीएस सीट होने के बावजूद, वहां क्यों बच्चे जाते हैं।
यूक्रेन में 24 फीसदी भारतीय छात्र
स्टडी इंटरनेशनल से मिली जानकारी के अनुसार 2011 से 2020 के दौरान भारत और दूसरे देशों से यूक्रेन में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में 42 फीसदी इजाफा हुआ है। यूक्रेन में करीब 76 हजार विदेशी छात्र हैं। जिसमें से 18 हजार भारतीय है। जो कुल विदेशी छात्र का करीब 24 फीसदी है। जाहिर है कि यूक्रेन के एजुकेशन सिस्टम में भारतीय छात्रों का अहम योगदान है। भारत से यूक्रेन जाने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा एमबीबीएम की पढ़ाई करने वाले हैं।
कम खर्च में आसानी से एडमिशन
प्रोलॉगएब्रॉड वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार यूक्रेन में प्रमुख रूप से 18 मेडिकल विश्वविद्यालय है। जहां 6 साल के एमबीबीएस कोर्स की पढ़ाई का खर्च 20-25 लाख रुपये के बीच आता है। और दूसरी अहम बात यह है कि वहां की पढ़ाई में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा का झंझट नहीं है। भारतीयों को केवल नीट परीक्षा देनी होती है। और स्कोरकार्ड से ही एडमिशन हो जाता है। जबकि भारत में एडमिशन के लिए काफी हाई मेरिट जाती है। ऐसे में जो बच्चे भारत में क्वॉलिफाई नहीं कर पाते हैं। उनके लिए यूक्रेन में एडमिशन लेना हो जाता है।
जबकि भारत में एक प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री की पढ़ाई करने में 50-60 लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं सरकारी कॉलेजों में 8-10 लाख रुपये का न केवल खर्च आता है। बल्कि एडमिशन लेना भी आसान नहीं होता है। इस कारण यूक्रेन जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ रही है।
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