Women's Day special Story Sanjukta Parashar: 8 मार्च को महिला दिवस है और इस मौके पर हम आपको मिलवा रहे हैं असम की आयरन लेडी कहलाई जाने वाली आईपीएस अफसर संजुकता पराशर से। संजुकता 2006 बैच से पास आउट हैं।
संजुकता असम में पली बढ़ी हैं और वहां 12वीं क्लास तक रहीं लेकिन उनका कहना है कि वो दिल्ली में पली बढ़ी हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी में बिताए तीन साल उनकी जिंदगी का सबसे अच्छा समय है। संजुकता ने बताया, 'यहां रहते हुए मुझे समझ आया कि मैं क्या कर सकती हूं। मैंने आत्म निर्भर होना सीखा और वैसे ही अपना ध्यान रखना सीखा, जैसे दूसरों का रखती हूं। लेकिन इन सालों में मैंने खुद को पुलिस अफसर बनने के बारे में नहीं सोचा था।'
'महिला होने के कारण मिलती है अटेंशन, इसे बदलना है'
संजुकता ने बताया था कि 23 साल की उम्र में उन्होंने फैसला किया कि वो यूपीएससी का एग्जाम देंगी। उन्होंने कहा था, 'मुझे लगता है कि मैं महिला हूं इसलिए मुझे मीडिया अटेंशन मिलती है लेकिन इसे ही हम बदलना चाहते हैं। मुझे नहीं लगता इस काम के लिए केवल पुरुष बने हैं, पुलिसिंग जेंडर न्यूट्रल है।' इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मीडिया में पहचान बनाने को लेकर वो असहज महसूस करती हैं। मैं जब भी अपने बारे में पढ़ती हूं तो लगता है किसी और के बारे में पढ़ रही हूं।
सिर नीचे कर अपना काम करना है पसंद
संजुकता ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैं अपना सिर झुकाकर उस काम को करने की कोशिश करती हूं जो मुझे दिया गया है। यही हम कर सकते हैं। मिले हुए काम को अपनी योग्यता के मुताबिक अच्छी तरह करना।' बता दें कि संजुकता एके- 47 हमेशा अपने साथ रखती हैं।
15 महीने में 16 आतंकियों को किया था ढेर
संजुकता ने असम में 15 महीने में 16 आतंकियों को ढेर किया है और कई को गिरफ्तार कर चुकी हैं। साल 2017 में उन्हें नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) में चार साल के लिए एसी नियुक्त किया गया है। उन्होंने साल 2008 में एसिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर मकुम में अपने सफर की शुरुआत की।
ये है उनके करियर का सबसे मुश्किल केस
संजुकता ने एक वेबसाइट से बात करते हुए बताया था कि उनके करियर का सबसे मुश्किल केस कौन सा था? इसपर उन्होंने बताया था, 'एक बिजनेसमैन का मर्डर केस जिन्हें एक ऐसे गैंग ने फंसाकर किडनैप कर लिया था जिसमें गनमैन और कॉलगर्ल तक शामिल थीं। शुरआत में इस केस के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। फर्जी नाम से सिम कार्ड इशू होने के चलते हमें बहुत परेशानी हुई थी। यह इससे भी ज्यादा मुश्किल था कि हमारी इतनी कोशिश के बाद भी हम किडनैप किए गए शख्स को बचा नहीं पाए। उनके परिवार से बात करने में अभी भी मैं नर्वस हो जाती हूं क्योंकि लगता है कि यह हमारी बड़ी हार है।'