उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अगले छह महीनों में रोजगार के मौके तैयार करने का पूरा खाका खींच लिया है। कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के कारण प्रदेश के युवाओं के सामने रोजगार का संकट ना पैदा हो, इसके लिए यूपी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में बाकायदा ऐलान किया है कि आगामी 03 से 06 महीनों के भीतर कम से कम 15 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन की ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। इस संबंध में विभिन्न विभागों को एक सप्ताह के भीतर कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चुनौती है, इसके लिए अभी से तैयारी की जाए। MSME, ODOP, NRLM, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास मिशन, खादी ग्रामोद्योग तथा मनरेगा के माध्यम से रोजगार सृजन के कार्यों में तेजी लाई जाए।
मुख्यमंत्री शिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) प्रोत्साहन योजना के तहत युवाओं को उद्योगों में प्रशिक्षण के साथ-साथ ₹2500 का मासिक प्रशिक्षण भत्ता प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई है। एक वर्ष में एक लाख युवाओं को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना के तहत 02 लाख युवाओं को जोड़े जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए। उन्होंने रोजगार अथवा स्वरोजगार के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन के लिए युवाओं को ‘युवा हब’ के माध्यम से भी ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए। युवा हब प्रत्येक जिले में बनाया जाएगा।
इन क्षेत्रों में युवाओं को मिलेंगे मौके
MSME और ODOP के तहत रोजगार सृजन की व्यापक संभावनाएं हैं। इनके माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। खाद्य और फल प्रसंस्करण जैसे, अचार, पापड़, पत्तल आदि बनाने के माध्यम से भी रोजगार प्रदान करने की रणनीति बनाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक स्तर पर मास्क बनाने के कार्य से भी रोजगार सृजन किया जा सकता है। खादी के क्षेत्र में सोलर चरखों का संचालन, सोलर लूम स्थापित कर व्यापक प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही, उत्कृष्ट कंबलों के निर्माण तथा नवीन स्वरोजगार को प्राथमिकता दी जाए।
गांव स्तर पर पैदा होंगे रोजगार
मुख्यमंत्री ने ग्राम स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर को सुदृढ़ बनाते हुए इस प्लेटफाॅर्म के माध्यम से भी रोजगार उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि व्यापक पैमाने पर दुग्ध समितियों का गठन कर डेयरी उद्योग को भी सुदृढ़ किया जा सकता है। प्रशिक्षण के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी मार्केटिंग को भी सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि उत्पादों को प्रतिस्पर्धा के आधार पर बाजार उपलब्ध कराए जाएं। फूलों की खेती, इत्र, धूपबत्ती, अगरबत्ती आदि बनाकर प्रोत्साहित किया जा सकता है।