नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, सत्ता की लड़ाई अब भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच तीखी होती जा रही है। हालात यह है कि दोनों दलों के नेता एक-दूसरे के हर दांव को कमजोर करने में लगे हुए हैं। ताजा मामला मथुरा से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने के कयासों का है।
सोमवार को भाजपा के सांसद हरनाथ सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि योगी जी भगवान श्रीकृष्ण जी की नगरी मथुरा से चुनाव लड़े और यह पत्र मुझसे स्वंय भगवान श्रीकृष्ण जी ने लिखने के लिए प्ररित किया है। उनके इस बयान के बाद, पत्रकारों के सवाल पर अखिलेश यादव ने बयान दिया कि भगवान श्रीकृष्ण रोज उनके सपने में आते हैं और कहते हैं कि राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार आने वाली है ।
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भाजपा के हर दांव पर कर रहे हैं रिएक्ट
इसके पहले अखिलेश यादव ने इसी तरह का रिएक्शन, योगी आदित्यनाथ के 4 बजे उठने के सवाल पर दिया था। अखिलेश यादव ने कह दिया था कि वह सुबह 3:30 बजे उठते हैं। ऐसे ही नवंबर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के बाद, अगले दिन ही एक्सप्रेस-वे पर यात्रा शुरू कर दी थी। यही नहीं अखिलेश यादव पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से लेकर काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट सहित दूसरी योजनाओं को लेकर यह दावा करते रहे हैं, कि भाजपा उनके ही प्रोजेक्ट को पूरा कर रही है।
हिंदुत्व के पिच पर खुल कर रहे हैं बैटिंग
ऐसी संभावना है कि अखिलेश यादव 8 या 9 जनवरी को अयोध्या जा सकते हैं और राम लला के दर्शन कर सकते हैं। अगर वह ऐसा करते हैं तो उनका, रामजन्म भूमि का यह पहला दौरा होगा। वहीं अखिलेश यादव ने 2 जनवरी को भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण किया था। जाहिर है अब अखिलेश हिंदू कार्ड को खेलने से परहेज नहीं कर रहे हैं। यह उनकी बदली रणनीति है।
क्या भाजपा के एजेंडे में फंस रहे हैं अखिलेश
2022 के चुनावों से पहले अखिलेश यादव का यह बदला हुआ रूप, साफ तौर पर सवर्ण मतदाताओं में सेंध लगाने का है। क्योंकि अभी भी समाजवादी पार्टी की छवि यही है कि वह यादव और मुस्लिमों की पार्टी है। और भाजपा नेता लगातार इस बात को अपने बयानों से उछालते रहते हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के भगवान कृष्ण रोज सपने में आते बयान पर कटाक्ष करने में देरी नहीं की। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने उनसे (अखिलेश) से ये भी कहा होगा कि जब तुम्हें सत्ता मिली थी, तब मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन के लिए कुछ कर नहीं पाएं बल्कि कंस को पैदा करके जवाहरबाग की घटना कर डाली।
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राहुल भी करते रहे हैं कोशिश
असल में अखिलेश हिंदुत्व का कार्ड उसी तरह खेल रहे हैं, जैसे राहुल गांधी ने कांग्रेस के लिए गुजरात विधानसभा से शुरू किया था। वह 2017 के गुजरात, तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में भी हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति कर चुके हैं। यही नहीं असम के विधान सभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मंदिर-मंदिर जाने की कवायद करती रही हैं। लेकिन उसका उन्हें खास फायदा नहीं मिला है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है क्या अखिलेश भाजपा के पिच पर खेलकर उसे चुनावों में मात दे पाएंगे।