विधानसभा चुनाव 2022: नतीजे से पहले कांग्रेस को जीतने वाले विधायकों को लेकर चिंता, बनाई नई रणनीति

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रंजीता झा
रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Mar 08, 2022 | 20:33 IST

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की नतीजे से पहले कांग्रेस को जीतने वाले विधायकों की चिंता खाए जा रही है। क्योंकि पिछली बार गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने सरकार बना ली थी।

Assembly elections 2022: Congress Concerns about winning MLAs before results
चुनाव नतीजे से पहले कांग्रेस ने बनाई नई रणनीति  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • सेंधमारी से बचने के लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाई।
  • सीनियर नेताओं को अभी से पंजाब, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड भेज दिया है।
  • प्रियंका गांधी यूपी का कमान खुद संभाल रही है।

Assembly elections 2022: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की नतीजे 10 मार्च को आएंगे लेकिन कांग्रेस पार्टी को अभी से अपने जीतने वाले विधायकों की चिंता खाए जा रही है। कांग्रेस को लगता है कि जिस तरह से पिछली बार गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार पिछले दरवाजे से बीजेपी ने बना ली थी, एक बार फिर उसी को दोहराया ना जाए। सूत्रों के मुताबिक सेंधमारी से बचने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अभी से अपनी रणनीति तैयार कर ली है पार्टी ने अब अपने कई वरिष्ठ नेताओं को अभी से पंजाब, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड भेज दिया है। दूसरी तरफ प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश का कमान खुद संभाल रही है।

गोवा और मणिपुर में तोड़फोड़ से बचने की रणनीति

2017 के विधानसभा चुनाव में गोवा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस बनी थी। लेकिन जब तक गठबंधन और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर फैसला होता बीजेपी ने बाजी मार ली और क्षेत्रीय दलों के और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना ली। इस बार कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि उसके सभी उम्मीदवार चुनावी नतीजे के दिन एक साथ मौजूद रहेंगे। साथ ही कांग्रेस ने सीनियर ऑब्ज़र्वर पी चिदंबरम के साथ कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को भी लगा दिया है ताकि विधायकों के ऊपर पैनी नजर रखी जा सके।

उत्तराखंड में अपने विधायक पर नजर

इसी तरह से उत्तराखंड का भी अनुभव कांग्रेस के लिए बुला रहा है वहां पर भी कांग्रेस के कई बड़े नेता पिछले चुनाव के बाद और सरकार के दौरान टूटकर बीजेपी में शामिल हो गए थे जिसकी वजह से एक बार सरकार अल्पमत में भी आ गई थी इस बार चुनाव के नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस नेतृत्व में दीपेंद्र हुड्डा और भूपेश बघेल  को देहरादून भेज दिया है।

कुल मिलाकर दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है वाली कहावत कांग्रेस पर लागू हो रही है। कौन जीतेगा कौन हारेगा यह पता तो 10 तारीख को चलेगा लेकिन कांग्रेस अभी से अपने संभावित जीते हुए विधायकों को टूटने से रोकने की कवायद में जुट गई है।
 

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