Bhagwant Mann Oath Ceremony: भगवंत मान अब पंजाब के नए मुख्यमंत्री हैं। राज्य में आम आदमी पार्टी की सफलता ने पंजाब की राजनीति में एक दम नई इबारत लिखी है। क्योंकि 1966 में पंजाब के गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब राज्य में कांग्रेस या शिरोमणि अकाली दल के अलावा किसी और पार्टी की सरकार बन रही है। दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का सीधा मतलब है कि अब पार्टी की स्वीकार्यता दूसरे राज्यों में बढ़ रही है। और आने वाले दिनों में इसका उत्तर भारत की राजनीति पर सीधा असर पड़ेगा।
पंजाब में दिखेगा दिल्ली का मॉडल
असल में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में जीत के लिए, मतदाताओं के सामने दिल्ली मॉडल की नजीर पेश की थी। उनका दावा था कि जिस तरह उन्होंने दिल्ली में सीमित अधिकारों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली में आम लोगों की राहत दी है। वैसा ही मॉडल वह पंजाब में पेश करेंगे। अब जब पंजाब की जनता ने उन पर भरोसा कर 92 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी को भारी जीत दिलाई है। तो उसे अब उन वादों के पूरा होने का इंतजार रहेगा।
इसके तहत पंजाब में 24 घंटे बिजली देने के साथ हर घर को 300 यूनिट बिजली प्रति महीने मुफ्त देने का प्रमुख वादा है। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तरह पंजाब के हर गांव और कस्बे में 16,000 क्लीनिक बनाना का वादा है। इसी तरह 18 साल से अधिक उम्र की प्रत्येक महिला को 1000 रुपये प्रति माह देने का भी वादा है। ये ऐसे वादे हैं, जिन्हें न केवल आम आदमी पार्टी पंजाब में जल्द लागू कर सकती है, बल्कि दूसरे राज्यों में अपनी पैठ जमाने के लिए भी इस्तेमाल करेगी।
हरियाणा में एक्टिव हुई आप
पंजाब में बड़ी जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी अब दूसरे राज्यों में एक्टिव हो गई है। इसी के तहत हरियाणा में भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के कई नेताओं ने बीते 14 मार्च को आम आदमी पार्टी का हाथ थाम लिया है। न्यूज एजेंसी के अनुसार गुरुग्राम से भाजपा के पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल और पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजेंद्र सिंह, इनेलो के नेता और हरियाणा के पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सैनी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। सूत्रों के अनुसार पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों में अपने आधार को मजबूत करने की तैयारी में हैं। हरियाणा में 2024 में विधानसभा चुनाव होना है।
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब हरियाणा में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अरविंद केजरीवाल के गृह राज्य में आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन उन्हें एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई थी। इसके बाद वर्ष 2019 में पार्टी ने दुष्यंत चौटाला की जजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन पार्टी को खाता नहीं खुला। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने 40 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा , लेकिन फिर उसका कोई प्रत्याशी नहीं जीत पाया।
गुजरात, राजस्थान, हिमाचल पर भी रहेगी नजर
हरियाणा के बाद गुजरात आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति का केंद्र होगा। गुजरात में फरवरी 2021 में निकाय चुनाव में जिस तरह पार्टी को शहरी इलाकों में सीटें मिली हैं। उससे पार्टी को बड़ा बूस्ट मिला है। इसी से उत्साहित होकर बीते जून में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि पार्टी 2022 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। निकाय चुनाव में पार्टी सूरत शहर में कांग्रेस को पछाड़कर मुख्य विपक्षी दल बन गई। 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन उसका खाता नहीं खुला।
गुजरात की तरह पार्टी की नजर पंजाब से सटे हिमाचल पर भी है, इस राज्य में गुजरात चुनाव के साथ हिमाचल में चुनाव होना है। ऐसे में पार्टी का फोकस हिमाचल प्रदेश पर रहेगा। हिमाचल में भी पंजाब, गुजरात, राजस्थान की तरह दो दलों का ही प्रभाव रहा है। ऐसें में पार्टी इन राज्यों में भी दिल्ली, पंजाब की तरह भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश करेगी।
क्या कांग्रेस का विकल्प बन पाएगी आप
आम आदमी पार्टी ने जिस तरह दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस की जगह ली है। उसे देखते हुए राजनीतिक पंडित यह कयास भी लगा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस का विकल्प बन सकती है। हालांकि यह पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है। खास तौर से तब जब कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में हैं। और अभी तक आम आदमी पार्टी वहां उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश भी पार्टी के लिए नया प्रयोग होगा। हालांकि गुजरात और हरियाणा ऐसे राज्य हैं, जहां पर पार्टी पहले से भी चुनाव लड़ती आई है। ऐसे में उसके लिए दूसरे राज्यों की तुलना में संगठन खड़ा करना आसान होगा।
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