सियासत में चुनाव से पहले नेताओं का एक दल से दूसरे दल में आना जाना लगा रहता है। इसका फायदा किसी भी दल को कितना मिलता है उसका जवाब तो नतीजों के बाद पता चलता है। लेकिन राजनीतिक दल इसके जरिए अपनी फिजा बनाने की कोशिश करते हैं कि दूसरे दलों में भगदड़ है। हाल ही में जब एसपी में बीएसपी के 6 और बीजेपी का एक विधायक शामिल हुए तो अखिलेश यादव ने कहा कि यह तो महज शुरुआत है। उनकी इस चुनौती पर बीजेपी ने कहा कि आगे आगे देखिए होता है क्या। बता दें कि एसपी के चार और बीएसपी के दो एमएलसी बीजेपी में शामिल हुए।
एसपी के चार एमएलसी, बीजेपी में शामिल
बुधवार को एसपी के चार विधान परिषद सदस्य जिसमें रमा निरंजन शामिल हैं बीजेपी का दामन थाम लिए। सपा के इन चार एमएलसी का बीजेपी में बड़ी बात मानी जा रही है। बीजेपी के नेताओं ने कहा कि जो लोग सत्ता में आने का सपना देख रहे हैं वो हकीकत में इसी तरह टूट के बिखर जाएंगे।
क्या है जानकारों की राय
जानकार कहते हैं कि विधानपरिषद सदस्यों के पालाबदल से विधानसभा में किसी पार्टी की सीट संख्या में बदलाव नहीं होता है। लेकिन आम लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की जाती है जो दल को खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर रहे हैं वो खुद किस हालात से गुजर रहे हैं। विपक्ष की धार को कुंद करने की कोशिश की जाती है। लेकिन अगर पिछले चुनाव खासतौर से अगर आप बंगाल के नतीजों को देखें तो जिस तरह से टीएमसी में भगदड़ मची वो मीडिया की सुर्खियां बनीं। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही थी। इसका अर्थ यह है कि सत्ता हो या विपक्ष उसे जमीन पर काम करके दिखाना होगा कि वो किसके लिए लड़ रहा है।