नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी का दांव चलने के बाद, भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश फतह के लिए 4 सूत्रीय फॉर्मूला तैयार कर लिया है। जिसकी सफलता के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब सीधे मैदान में हैं। प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी फॉर्मूले पर जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, और 2017 जैसी जीत की उम्मीद कर रहे हैं।
इस रणनीति से जीत का भरोसा
भाजपा ने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के गठबंधन की काट मथुरा, कैराना पलायन, अपराध नियंत्रण, विकास योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के जरिए निकालने की रणनीति बनाई है। इसी के तहत भाजपा नेताओं ने मथुरा से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने का दांव उछाल दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए ट्रैक्टर रैली भी निकाली है।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को किसानों को लुभाने के लिए निजी नलकूपों के लिए बिजली दरें 50 फीसदी घटा दी है। और सितंबर में गन्ना के राज्य परामर्श मूल्य में करीब साढ़ें तीन साल 25 रुपये की बढ़ोतरी की थी।
इसके पहले पार्टी जन विश्वास यात्रा भी निकाल रही है। जन विश्वास यात्रा के प्रभारी विद्या सागर सोनकर के अनुसार विश्वास यात्राओं में मिला लोगों का अपार स्नेह यह साबित करता है कि जनता का आशीर्वाद पार्टी और सरकार के साथ है। सरकार के विकास कार्यों से देश ही नहीं, विदेशों में भी उत्तर प्रदेश की छवि बदली है और प्रदेश बीमारू राज्यों की श्रेणी से निकल कर तरक्की की राह पर चल रहा है। समाजवादी पार्टी विकास के लिए ब्रेकर है, यह बात जनता भी जानती है।
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बयानों से समझिए रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ में मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के शिलान्यास के दौरान कहा, "पांच साल पहले जो अपराधी यहां अपराध का खेल खेलते थे, आज योगी जी की सरकार उन माफियाओं के साथ जेल-जेल खेल रही है। पहले यहां बेटियां शाम होने के बाद घरों से निकलने में डरती थीं, आज यहां की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं।"
इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा "2017 के पहले उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री के आवास में मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के दंगाइयों को बुला कर सम्मानित किया जाता था। लेकिन 2017 के बाद मुख्यमंत्री आवास में किसानों का सम्मान किया जाता है और गुरुबाणी का पाठ होता है।"
योगी आदित्यनाथ ने एक और बयान मथुरा में दिया था "हमने कहा था कि अयोध्या में प्रभु राम के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य पूरा कराएंगे, मोदी जी ने काम प्रारम्भ करा दिया है ? खुश हैं न? अब काशी में भगवान विश्वनाथ का धाम भी भव्य रूप से बन रहा है, और फिर मथुरा वृन्दावन कैसे छूट जायेगा।"
नवंबर में कैराना यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा जो अराजकता करने की कोशिश करेगा,दंगा करेगा, उसकी आने वाली पीढ़ियां भूल जाएंगी कि दंगा कैसे होते हैं। उन्होंने एक बच्ची से भी पूछा अब कोई डर नहीं है न ! दावा यह है कि अब 2016 में जिन परिवारों ने एक विशेष समुदाय के डर से अपने घरों को छोड़ा था, वह अब घर वापसी कर रहे हैं।
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पिछले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह ने अलीगढ़ में कहा 'समाजवादी पार्टी तीन पी के जरिए चलती थी, परिवारवाद, पक्षपात, और पलायन। सपा के समय NIZAM का राज होता था। जहां N का मतलब नसीमुद्दीन, I का मतलब इमरान मसूद, A का मतलब आजम खान, M का मतलब मुख़्तार अंसारी होता है। मोदीजी और योगीजी की जोड़ी ने उत्तर प्रदेश को इस निजाम राज से मुक्त कर कानून का शासन स्थापित करने का काम किया है।''
विकास योजनाओं पर भी जोर
उत्तर प्रदेश में भाजपा का पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा फोकस है। इसीलिए जिस तरह पूर्वांचल में ताबड़तोड़ परियोजनाओं के लिए उद्घाटन और शिलान्यास किए गए, उसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी करने की कोशिशे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा-एक्सप्रेस-वे, जेवर एयरपोर्ट, ध्यानचंद विश्वविद्यालय, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया है।
इसके अलावा बागपत, शामली सहारनपुर, मुजफ्फरनगर होते हुए 12 हजार करोड़ की लागत से दिल्ली से देहरादून एक्सप्रेस वे बनाने की ऐलान किया गया है। साथ ही तीन सौ करोड़ के निवेश से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और गंगा एक्सप्रेस वे को जोड़ने की भी तैयारी है।
संगठन स्तर पर ये हो रहा है काम
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संगठन स्तर पर महिला, युवा, अनुसूचित, पिछड़ा, किसान सम्मेलन किए जा रहे हैं। और अब तक सभी विधानसभाओं में कम से कम एक मोर्चे का सम्मेलन आयोजित किया जा चुका है। इसी तरह जन विश्वास यात्रा के दौरान 200 छोटी और 40 बड़ी सभाएं की गई है।
पश्चिम यूपी में वोटर समीकरण
पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के बाद जाट और मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए अखिलेश यादव और जयंत चौधरी गठबंधन कर 2017 के समीकरण को बदलना चाहते हैं। इसके अलावा यहां पर बड़ी संख्या में दलित वोटर भी है, जो बसपा का बड़ा वोट बैंक हैं। इन राजनीतिक समीकरणों के बीच भाजपा 2017 जैसे कारनामे के लिए नए एजेंडे पर काम कर रही है। अब देखना है कि उसे पिछली बार की तरह 120 सीटों में से एक बार फिर 90 सीटों के करीब मिलती हैं, या फिर किसान आंदोलन और विपक्ष का गठबंधन रणनीति पर पानी फेर देगा।