13 और 14 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ साथ बीजेपी शासित सभी राज्यों के सीएम वाराणसी में थे। वो हर उस पल के गवाह बने जिसमें पीएम मे शिरकत की थी। 14 दिसंबर को मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम ने मीटिंग की और परफॉर्मेंस का लेखा जोखा देखा और सुना। इसके साथ ही आगे क्या किया जा सकता है उस विषय पर भी चर्चा हुई। अब वो सभी सीएम रामलला की धरती अयोध्या में होंगे जहां वो दर्शन करने के साथ साथ ही विकास कार्यों का जायजा भी लेंगे। अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ दर्शन मात्र तक है या उसमें कोई रणनीति भी है।
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दौरा अहम
अगर बीजेपी शासित राज्यों के सीएम की बात करें तो अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,गोवा और मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। 2022 का चुनाव बीजेपी के लिए इस अहम है क्योंकि 2024 में आम चुनाव भी होने हैं। इन राज्यों में जीत का मतलब है कि बीजेपी के पास कहने का मौका होगा कि जो लोग जनता की दुहाई देकर उनकी सरकारों को कोसा करते थे, कम से कम वो लोग आरोप लगाने का नैतिक आधार खो चुके हैं। लेकिन यदि किसी वजह से चुनाव में शिकस्त मिलती है तो बीजेपी के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी।
अयोध्या में बीजेपी शासित राज्यों के सीएम
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि राजनीति में भाव भंगिमाओं का अपना अलग महत्व होता है। अगर आप 2014 के आम चुनाव की बात करें तो पीएम नरेंद्र मोदी जह वाराणसी में पर्चा भरने के लिए गए तो उन्होंने खुद का मां गंगा से नाता जोड़कर कहा कि वो यहां आए नहीं बल्कि मां गंगा ने बुलाया है। वो चुनाव, गुजरात के किसी भी संसदीय सीट से लड़ सकते थे। लेकिन वाराणसी का चयन किया गया तो उसके पीछे वजह थी कि वो बीजेपी के विचार जमीन पर उतारने का संदेश था। दूसरी वजह यह थी कि अगर पीएम पद के लिए बीजेपी की तरफ से नामित चेहरा वाराणसी से चुनाव लड़ता है तो उसका संदेश ना सिर्फ पूर्वांचल बल्कि पश्चिमी बिहार के जिलों पर पड़ता और यदि नतीजों की बात करें तो उसका असर भी दिखाई दिया। ऐसे ही अयोध्या में सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों के सीएम की मौजूदगी नहीं होगी बल्कि वो संदेश भी होगा कि हम अपनी विचारधारा के प्रति कितने समर्पित हैं।