उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी तक अपनी लिस्ट जारी नहीं की है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के पास मजबूत बेंच स्ट्रेंथ हैं। हरीश रावत ने कहा, 'मेरे पास पार्टी द्वारा सौंपा गया एक काम है। उन्होंने मुझे कहा कि चुनाव तुम्हारे (रावत के) नेतृत्व में लाडा जाएगा अभियान का नेतृत्व करने के लिए कहा है। मैं वह कर रहा हूँ। मैं एक समय में एक ही चीज पर फोकस करता हूं। मेरा काम यह देखना है कि हमें बहुमत मिले। अगर हमें यह मिलता है, तो यह हमारी समय-परीक्षित परंपरा है कि हम कांग्रेस अध्यक्ष से हमारे नेता को नामित करने का अनुरोध करते हैं। वह ऐसा करेंगी।'
हरीश रावत ने कहा, 'आपने देखा कि जहां- जहां रीजनल पार्टियां आई हैं दक्षिण के अलावा, विशेषकर तमिलनाडु के अलावा, वो ज्यादा सक्सेस नहीं हुई हैं। ओडिशा जरूर और बंगाल जरूर एक्सेप्शन हैं। मगर पार्टियां जो स्वभाव है, वो कांग्रेस की नीतियों पर चल रही हैं, तभी सफल हो पाए। हम से अलग होकर केवल तमिलनाडु में ही सफलता मिली है। इसलिए लौट कर ये वापस आएंगे। कभी कभी समय होता है, जैसे आउट ऑफ फॉर्म हो जाता है। कांग्रेस इस समय आउट तो नहीं है लेकिन फॉर्म थोड़ा डाउन है। हम रिगेन कर लेंगे। ये बात पूरे देश के परिपेक्ष्य में कह रहा हूं। उत्तराखंड में हमारी बेंच स्ट्रेंथ भी इन फॉर्म की है अच्छी खासी, उसको मैनेज करने में समस्या आ रही है।'
हरक सिंह रावत को वापस लिए जाने संबंधी पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए हरीश रावत ने कहा, 'अच्छी बात हमारी पार्टी का हिस्सा हैं। पार्टी का निर्णय है। तो पार्टी के अंदर जो निर्णय लिए जाते हैं वो कई तरह की सोच के आधार पर किए जाते हैं। पार्टी हमेशा आगे देखकर निर्णय करती है। हम पार्टी का जो भी फैसला होगा उसे शिरोधार्य करेंगे। मैंने कहा पार्टी जो भी कहेगी वो भी मान्य होगा।'
आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में चुनाव लड़ने को लेकर जब हरीश रावत से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ' तीसरी पार्टी के लिए कोई मौका नहीं है। पहले जो पार्टियां थीं, वे धीरे-धीरे गायब हो गई हैं। UKD भी है, जिसका संघर्ष वाला इतिहास रहा है उसे भी लोगों ने इतिहास के पन्नों में समेट दिया। नई पार्टी का कोई सवाल नहीं है। ये दिल्ली नहीं है। यह दिल्ली नहीं है जहां लोग आएंगे, कुछ कहेंगे और हर जगह इसकी चर्चा होगी। भौगोलिक स्थिति और सभी प्रकार की स्थितियों को समझना और फिर नीति बनाना समय की जरूरत है। उन्हें वह समय देना होगा'