चंडीगढ़: लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को बड़े पैमाने पर घर वापस भेजने में मदद करने वाले अभिनेता सोनू सूद अब पंजाब के 'स्टेट आइकॉन' नहीं होंगे। केंद्रीय चुनाव आयोग ने पंजाब के 'स्टेट आइकॉन' के तौर पर उनकी नियुक्ति रद्द कर दी है। नवम्बर 2020 में सोनू सूद को स्टेट आइकॉन नियुक्त किया गया था। टाइम्सनाउ नवभारत को सूत्र ने बताया कि सोनू सूद की नियुक्ति 4 जनवरी को ही वापस हो गयी थी।
लॉकडाउन के दौरान मुम्बई-दिल्ली जैसे महानगरों से पलायन करके पैदल ही जा रहे प्रवासी श्रमिको को उन्होंने खूब मदद पहुंचाई थी। उनके लिए खाने-पीने,रहने के साथ ही साथ बस का इंतजाम भी किया। इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान लोगों के लिए इलाज के लिए पैसे, अस्पतालों के लिए पीपीई किट, दवाएं भी भेजी। कोरोना की लहर के दौरान जब लोग दवाई, ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए तरस रहे थे तो सोनू सूद एक ट्वीट पर मदद पहुंचा रहे थे। 'मदद का मसीहा' बनकर उभरे सोनू सूद को इसका फायदा भी मिला और उन्हें चुनाव आयोग ने उन्हें पंजाब का स्टेट आइकॉन बनाया।
हालांकि माना जा रहा है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले सोनू सूद के राजनीतिक दलों के बैनर तले चुनाव लड़ने की खबर आई है, ये फैसला उसका असर है। हाल ही के दिनों में सोनू पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल से भी मुलाकात कर चुके हैं। कई हफ्ते पहले उन्होंने अपनी बहन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये घोषणा करके बताया था कि वो विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी। अभी तक ये साफ नहीं है कि सोनू सूद किस पार्टी में जाएंगे। ये कयास है सोनू कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
चुनाव आयोग द्वारा लिए गए फैसले पर अभिनेता सोनू सूद की प्रक्रिया भी आई है। ट्विटर पर इस फैसले के बारे में बताते हुए सोनू सूद ने कहा है, ' हर एक अच्छी चीजों की तरह यह यात्रा भी यहीं खत्म हो रही है।' मैं अपनी इच्छा से पंजाब के स्टेट आइकन का पद छोड़ रहा हूं। मेरे परिवार के सदस्य द्वारा पंजाब विधानसभाचुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मैंने और चुनाव आयोग ने मिलकर यह फैसला लिया है।'
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