नई दिल्ली: उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी हलचल है। कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन पर आरोप है कि वह परिवार के लोगों को टिकट दिलाने का दबाव बना रहे थे। पार्टी से इस तरह निकाले जाने से रावत भावुक भी नजर आए। और उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के लिए काम करेंगे। लेकिन इस बीच उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर हरीश रावत ने कहा है कि अगर वह अपनी गलती मान लेंगे तो उनका कांग्रेस में स्वागत है। हरीश रावत के बयान से साफ है कि हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल होने पर नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
उत्तराखंड का मजबूत चेहरा
हरक सिंह रावत पिछले 30 साल से उत्तराखंड की राजनीति का प्रमुख चेहरा रहे हैं। वह 1991 में कल्याण सिंह सरकार में सबसे कम उम्र में मंत्री बने थे। पिछले 30 साल में पौढ़ी, लैंसडाउन, कोटद्वार, रूद्र प्रयाग सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रावत उत्तराखंड में मौसम विज्ञानी की छवि रखते हैं। वह 1996 में भाजपा को छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद 1998 में उन्हें कांग्रेस से हाथ मिला लिया। लेकिन 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत कांग्रेस के नौ विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी से विद्रोह कर मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार गिराने की कोशिश की थी और ये सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। हरीश रावत इसी गलती को स्वीकार करने की मांग कर रहे हैं।
हरीश रावत भूलेंगे पुराना धोखा
2016 में हरीश रावत को सबसे बड़ा झटका विजय बहुगुणा के साथ हरक सिंह रावत ने ही दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उनकी सरकार तो बच गई थी। लेकिन बाद में 2017 के चुनावों में बुरी हार को सामना करना पड़ा था। उन चुनावों में कांग्रेस को केवल 11 सीटें मिली थीं। ऐसे में अब अगर रावत कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो हरीश रावत के रूख से ये तो साफ है कि हरक सिंह की राह आसान नहीं होने वाली है। उन्हें कई समझौते करने पड़ सकते हैं।
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मुख्यमंत्री बनने की इच्छा, कितना जनाधार
इस बार के चुनावों के लिए हरक सिंह रावत लगातार यह कह रहे हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, हरक सिंह को भाजपा से निकाले जाने की वजह पर कहा है कि वह अपने और परिवार के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे।
धामी के अनुसार, पार्टी ने तय किया है कि एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिया जाएगा। रावत की बातों से कई बार पार्टी असहज हुई है। लेकिन हमारी बड़ी पार्टी है... हमारा बड़ा परिवार है, हमने हमेशा उनको साथ लेकर चलने की कोशिश की, लेकिन परिस्थितियां ऐसी हो गई थीं...वह खुद समेत अपने परिवार के और लोगों के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे। उन्होंने कहा कि इसलिए पार्टी ने यह फैसला (उन्हें निष्कासित करने का) किया।
राजनीतिक विश्लेषक अजीत सिंह का कहना है लंबी पारी खेल चुके रावत की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रही है। ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के बाद, गुटबाजी भी हो सकती है। लेकिन, उनका जनाधार मजबूत है। ऐसे में राज्य की 4-5 सीटों पर सीधे तौर पर असर डाल सकते हैं। साथ ही वह अपने साथ कुछ नेताओं को कांग्रेस में शामिल करा सकते हैं। जिसका भाजपा को खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
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