पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हुए, जिसमें उसका प्रदर्शन बीते चुनाव के मुकाबले और अधिक खराब रहा। यहां कि जिन राज्यों में उसके बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी, वहां भी पार्टी औंधे मुंह गिरी, जिनमें पंजाब भी शामिल है। पंजाब में कांग्रेस पहले से सत्तासीन थी और पार्टी में आंतरिक कलह के बाद भी अनुमान जताए जा रहे थे कि यहां वह सत्ता बचाए रखने में कामयाब हो सकती है। लेकिन चुनाव के नतीजों से साफ है कि चुनाव से कुछ ही महीनों पहले यहां कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जो सियासी खींचतान हुई, उन सबका नकारात्मक संदेश ही लोगों में गया और चरणजीत चन्नी को सीएम बनाने की रणनीति चुनावी रूप से सफल नहीं रही।
उत्तराखंड, गोवा में भी कांग्रेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी और यूपी में जिस तरह से खुद प्रियंका गांधी ने पार्टी के प्रचार की बागडोर संभाली थी, उससे यहां भी कुछ बेहतर के अनुमान लगाए जा रहे थे, लेकिन सीट संख्या के लिहाज से यहां पार्टी का प्रदर्शन और भी निराशाजनक रहा। चुनाव के नतीजों और इनमें कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी में 'महामंथन' जारी है, जिस पर सोनिया गांधी ने आज कांग्रेस कार्य समिति की बैठक भी बुलाई है। इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया है कि आखिर पंजाब में पार्टी की यह दुर्गति क्यों हुई? क्यों जिस पार्टी के सत्ता में वापसी के अनुमान जताए जा रहे थे, वह 117 सदस्यीय विधानसभा में महज 18 सीटों पर सिमट गई और चन्नी, सिद्धू जैसे दिग्गजों को भी अपनी सीट गंवानी पड़ी?
पंजाब: कांग्रेस सांसद ने हार के लिए सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया, बताया अन-गाइडेड मिसाइल
पंजाब में इससे पहले साल 2017 में हुए चुनाव से मौजूदा हालात की तुलना करते हुए अशोक गहलोत ने कहा, '2017 में कांग्रेस एकजुट थी और हम चुनाव जीते। चन्नी के सीएम बनने के बाद भी माहौल अनुकूल था, लेकिन यह हमारी गलती थी कि अंदरूनी लड़ाई के कारण हम पंजाब में विधानसभा चुनाव हार गए।' बीजेपी पर निशाना साधते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेताने कहा, 'ध्रुवीकरण की राजनीति आसान है। भाजपा ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी के रूप में प्रचारित किया। हमारा तरीका देश की अखंडता और एकता को बनाए रखते हुए काम करना है। वहीं, बीजेपी के लिए चुनाव के दौरान महंगाई, नौकरी जैसे मुद्दे कहीं पीछे चले जाते हैं, जबकि धर्म सबसे आगे रहता है।'
विधानसभा चुनाव में करारी हार पर कांग्रेस लीडरशिप को लेकर उठ रहे सवाल
उन्होंने राहुल गांधी को एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की कमान संभालने पर जोर दिया और यह भी कहा कि कांग्रेस की एकजुटता के लिए गांधी परिवार बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि बीते तीन दशकों से गांधी परिवार का कोई भी सदस्य प्रधानमंत्री या मंत्री नहीं बना है। यह इस बात को समझने के लिए अहम है कि कांग्रेस की एकजुटता के लिए गांधी परिवार बेदह महत्वपूर्ण है।