यूपी विधानसभा चुनाव का मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच नजर आ रहा है। दोनों ही पार्टियां मैदान में कूद चुकी है। इस बार यूपी की सियासत में साफ नजर आ रहा है कि धर्म और आस्था का एजेंडा तमाम चुनावी मुद्दों पर भारी पड़ेगा। इस वजह से सभी राजनीतिक पार्टियां मंदिरों में मत्था टेकना नहीं भूल रही है, चाहे वो रामलला हो या कृष्ण कन्हैया सभी को धर्म और आस्था नजर आ रही है। चुनाव आयोग ने ये तो साफ कर दिया है कि बढ़ते कोरोना की वजह से चुनाव नहीं टाले जाएंगे और चुनाव की तारीख का ऐलान 5 जनवरी के बाद ही तय होगा। चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले सबसे बड़ा चुनावी मुकाबला 9 जनवरी को देखा जा रहा है। क्योंकि उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव में सीधा मुकाबला होगा।
दरअसल 9 जनवरी को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने परिवार के साथ अयोध्या में चुनाव प्रचार करेंगे। तो वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस दिन लखनऊ में बड़ा कार्यक्रम के साथ चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। अगर उस दिन अखिलेश यादव अपने परिवार के साथ राममंदिर जाकर रामलला के दर्शन करने चले गए तो मीडिया को सारा फोकस अखिलेश यादव की तरफ चला जाएगा।
बीजेपी अपनी चुनावी दौर में जनसभा को संबोधित करने के दौरान हर बार समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला करते हुए कहती है कि अखिलेश यादव राम द्रोही है, वो सिर्फ चुनावी फायदे के लिए आस्था का झूठा ढ़ोंग करते है, तो वहीं अखिलेश यादव ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर हमारी सरकार सत्ता में होती तो अयोध्या में राम मंदिर 1 साल के अंदर ही बन जाता। आपको बता दें कि अखिलेश यादव हरदोई की रैली में जिन्ना का नाम लेकर कई बार विवादों में रह चुके है, हालांकि उसके बाद उन्होंने हिन्दुत्व और आस्था की राह पकड़ ली है।
9 जनवरी को लखनऊ में बीजेपी का बड़ा कार्यक्रम होना है। उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे। उस कार्यक्रम में करीब 10 लाख भारी भीड़ जुटाने का लक्ष्य है। तो वहीं उसी दिन अखिलेश यादव अयोध्या के सभी विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर जनता को संबोधित करेंगे। ये 9 जनवरी की तारीख बेहद दिलचस्प होगी। अब देखना ये होगा कि उस दोनों मुख्य पार्टी की मेहनत विधानसभा चुनाव के लिए कितना असर डाल सकती है।