नई दिल्ली: पंजाब चुनाव की वोटिंग ने उम्मीदवारों की धड़कने बढ़ा दी हैं। ऐसा इसलिए हैं कि राज्य में पिछले 20 साल में पहली बार इतनी कम वोटिंग हुई है। अहम बात यह है कि इस बार कई अहम उम्मीदवारों के क्षेत्र में उम्मीदवारों ने बेरूखी दिखाई है। मसलन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अमृतसर पूर्व सीट पर करीब 60 फीसदी मतदान हुआ है। इसी तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह के पटियाला शहर में भी करीब 62 फीसदी मतदान हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी के गढ़ मालावा क्षेत्र में कम मतदान हुआ है।
पिछले बार से करीब 8 फीसदी कम मतदान
20 फरवरी को शाम 5 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में करीब 70 फीसदी मतदान हुआ था। जो कि साल 2017 के मुकाबले करीब 8 फीसदी कम रहा है। उस समय 77 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। राज्य में इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग तलवंडी सबो सीट पर 83.67 फीसदी हुई है। जबकि सबसे कम वोटिंग अमृतसर पश्चिम सीट पर 50.10 फीसदी हुई है। आम तौर पर वोटिंग कम होना सत्ता पक्ष के लिए सुकून की बात होती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उदासीनता का मतलब सत्ता पक्ष से नाराजगी कम होना होता है। अगर ऐसी ही ट्रेंड इस बार का है तो वोटिंग में कमी विपक्ष के लिए चिंता की बात हो सकती है।
इसके पहले पंजाब में 70 फीसदी से कम वोटिंग 2002 में 65.14 फीसदी वोटिंग हुई थी। उसके बाद 2007 में 75.45 फीसदी, 2012 में 78.2 फीसदी और 2017 में 77.36 फीसदी वोटिंग हुई थी।
सिद्धू,चन्नी, बादल के सीटों का हाल
इस चुनाव की सबसे हाई प्रोफाइल सीट में से एक अमृतसर पूर्व है। जहां पर कांग्रेस से नवजोत सिंह सिद्धू और शिरोमणि अकाली दल के विक्रम मजीठिया के बीच कड़ी टक्कर है। इसके अलावा आम आमदी पार्टी की डॉ. जीवनजोत कौर और भाजपा गठबंधन से पूर्व आईएएस जगमोहन सिंह राजू भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अमृतसर पूर्व सीट पर करीब 60 फीसदी वोटिंग हुई है। जबकि 2017 में यहां करीब 65 फीसदी वोटिंग हुई है। ऐसे में कम वोटिंग बड़ा चौकाने वाले परिणाम दे सकती हैं। क्योंकि वोट बंटने से हार-जीत का मार्जिन बेहद कम रह सकता है।
इसी तरह धुरी सीट पर आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान चुनावी मैदान में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार यह पर करीब 79 फीसदी वोटिंग हुई है। मान की अकाली दल के प्रकाश चंद गर्ग, कांग्रेस के दलवीर सिंह गोल्डी और भाजपा के रनदीप सिंह देओल से टक्कर है।
जबकि शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के जलालाबाद विधानसभा सीट पर 80 फीसदी वोटिंग हुई है। बादल के खिलाफ कांग्रेस ने मोहन सिंह फलियांवाल और आम आदमी पार्टी ने जगदीप कंबोज को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने पूरन चंद को मैदाना में उतारा है।
वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चमकौर साहिब और भदौड़ से चुनाव लड़ा है। चमकौर साहिब में 2017 में करीब 78 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि इस बार 70 फीलदी और भदौड़ में करीब 72 फीसदी मतदान हुआ है।
मालवा का क्या है मिजाज
राज्य की 117 में से 69 सीटों वाले क्षेत्र मालावा में इस बार करीब 73 फीसदी की वोटिंग की रिपोर्ट है। जबकि 2017 में इस इलाके में करीब 81 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार सत्ता की उम्मीद लगाई बैठी आम आदमी पार्टी का सबसे मजबूत क्षेत्र मालवा है। इसी इलाके से पार्टी को पिछली बार सभी 20 सीटें मिली थी। ऐसे में उसे 2022 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। हालांकि इस इलाके डेरा सच्चा सौदा का करीब 40 सीटों पर प्रभाव है। और उसने इस बार भाजपा गठबंधन को वोट देने की अपील की थी।
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